सुराकछार अंडर ग्राउंड खदान का संचालन SECL कोरबा एरिया से किया जाता है। जमीन के नीचे से कोयला खनन किए जाने से सुराकछार बस्ती में रहने वाले 100 से अधिक किसानों की खेतीहर जमीन धंस गई है। भू- धंसान से बस्ती के किसान अपनी जमीन पर सब्जी या धान की फसल नहीं उगा रहे हैं।
किसानों का कहना है कि धंसान से खेत में बड़े बड़े गड्ढ़े बन गए हैं। इसमें पानी भरा रहता है। कई स्थानों पर भू- धंसान का दायरा अधिक है। गड्ढ़े तालाब जैसे दिख रहे हैं। इस जमीन पर खेती बाड़ी मुश्किल हो गई है। किसान कोयला कंपनी से फसल नुकसान के बदले मुआवजा की मांग कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि वर्ष 2009 से धंसी हुई जमीन पर खेती बाड़ी बंद हो गई है। किसानों ने आर्थिक नुकसान से तंग होकर कंपनी के खिलाफ आंदोलन चलाया था।
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इसके बाद कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2016-17 तक किसानों को हुए नुकसान का आंकलन प्रशासन से कराया। उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान किया। लेकिन पिछले चार साल से किसानों को सहायता राशि नहीं मिल रही है। इसे लेकर किसान परेशान हैं। कंपनी और जिला प्रशासन के खिलाफ आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं।
उनके आंदोलन का समर्थन मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी कर रही है। किसान सभा भी प्रभावित किसानों के साथ खड़ी है। मांगों को लेकर किसान सभा और कम्युनिस्ट पार्टी ने कटघोरा एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है। राशि का भुगतान नहीं होने पर 28 जुलाई को एसडीएम दफ्तर घेरने की चेतावनी दी है।
प्रबंधन और प्रशासन एक दूसरे पर डाल रहे जिम्मेदारी
प्रभावित किसानों का कहना है कि तीन साल की अंतराल पर कोयला कंपनी एक साथ मुआवजा का भुगतान करती है। लेकिन यह राशि चार साल से नहीं मिली है। कोयला कंपनी और जिला प्रशासन एक दूसरे पर डाल रहे हैं। इससे संबंधित कानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं हो रही है। इससे देरी हो रही है।
राजस्व विभाग नहीं कर रहा आंकलन
इधर, SECL की ओर से प्रभावित किसानों को बताया गया है कि कंपनी क्षतिपूर्ति देने का तैयार है। लेकिन इसके लिए राजस्व विभाग की ओर नुकसान का आंकलन और राशि की मांग से संबंधित पत्र जारी नहीं किया गया है। दर असल अभीतक राजस्व विभाग ने तीन साल में किसानों की जमीन का सर्वे ही नहीं किया है। इससे यह अनुमान नहीं लगा सका है कि नुकसान कितने रुपए का हुआ है? इस कारण कोयला कंपनी राशि जारी नहीं हो रही है।
भू- धंसान की समस्या बस्ती के करीब
बताया गया है कि एक साल में मामला और गंभीर हो गया है। खदान से दरारें गांव तक पहुंच चुकी हैं, जिसके कारण गांव में कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है। इस आशंका से ग्रामीणों के बीच भय का माहौल व्याप्त हैं।