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हाथियों का उत्पात थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार की देररात हाथियों का झुंड एतमानगर रेंज के आसपास विचरण कर रहा था। सिंचाई कर्मी धनसिंह ६१ वर्ष खाना खाने के बाद सोने चला गया था। रात को एक बजे के लगभग बाड़ी से आवाज आने लगी। कमरे से निकलकर जैसे ही वह बाड़ी पहुंचा। तो एक हाथी बाड़ी के बीच खड़ा हुआ था। हाथी ने उसे सूंड़ से उठाकर वहीं पटक दिया। इसके बाद हाथी झुंड के साथ जंगल की ओर निकल गया। परिजनों ने ग्रामीणों की मदद से घायल को एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई है। वन विभाग भी सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंचा। हाथियों पर निगरानी के लिए टीम लगाइ गई है।
हाथियों का उत्पात थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार की देररात हाथियों का झुंड एतमानगर रेंज के आसपास विचरण कर रहा था। सिंचाई कर्मी धनसिंह ६१ वर्ष खाना खाने के बाद सोने चला गया था। रात को एक बजे के लगभग बाड़ी से आवाज आने लगी। कमरे से निकलकर जैसे ही वह बाड़ी पहुंचा। तो एक हाथी बाड़ी के बीच खड़ा हुआ था। हाथी ने उसे सूंड़ से उठाकर वहीं पटक दिया। इसके बाद हाथी झुंड के साथ जंगल की ओर निकल गया। परिजनों ने ग्रामीणों की मदद से घायल को एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई है। वन विभाग भी सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंचा। हाथियों पर निगरानी के लिए टीम लगाइ गई है।
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कोरबा वनमंडल के अंतर्गत ग्राम पंचायत गुरुमुड़ा में 9-10 सितम्बर की रात करीब 1 बजे जब गांव से बाहर जंगल की ओर बने कुछ मकानो में ग्रामीण सो रहे थे। आधी रात दंतैलों को झुण्ड को गांव में देख वेे भयभीत हो उठे और अफरा-तफरी सा माहौल बन गया। डायल 112 की टीम को सूचना दी गई। जानकारी होते ही उस वक्त ड्यूटी पर तैनात आरक्षक लेख राम धिरहे व चालक संगम श्रीवास्तव बिना समय गवाएं मौके पर पहुंचे। हाथियों की दहशत से इधर-उधर भाग रहे ग्रामीणों , महिलाओं और बच्चों को एक जगह इकट्टा किया और वहां से बाहर निकाला। सभी ग्रामीणों को गांव के बाहर बने आवासों से निकालकर गांव की बस्ती में ला कर छोड़ा गया और गांववालों को एक जगह इकठ्ठा रहने की समझाईश दी गयी।
कोरबा वनमंडल के अंतर्गत ग्राम पंचायत गुरुमुड़ा में 9-10 सितम्बर की रात करीब 1 बजे जब गांव से बाहर जंगल की ओर बने कुछ मकानो में ग्रामीण सो रहे थे। आधी रात दंतैलों को झुण्ड को गांव में देख वेे भयभीत हो उठे और अफरा-तफरी सा माहौल बन गया। डायल 112 की टीम को सूचना दी गई। जानकारी होते ही उस वक्त ड्यूटी पर तैनात आरक्षक लेख राम धिरहे व चालक संगम श्रीवास्तव बिना समय गवाएं मौके पर पहुंचे। हाथियों की दहशत से इधर-उधर भाग रहे ग्रामीणों , महिलाओं और बच्चों को एक जगह इकट्टा किया और वहां से बाहर निकाला। सभी ग्रामीणों को गांव के बाहर बने आवासों से निकालकर गांव की बस्ती में ला कर छोड़ा गया और गांववालों को एक जगह इकठ्ठा रहने की समझाईश दी गयी।