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इसके लिए कुसमुंडा प्रबंधन ने कटघोरा की कोर्ट में एक परिवाद दायर किया है। इसमें बताया है कि एसईसीएल केन्द्र सरकार का सार्वजनिक उपक्रम है, जो 30- 35 वर्षों से कोयला खनन कर रही है। खदान विस्तार के लिए समय- समय पर जमीन का अधिग्रहण करती है। कोल इंडिया की नीति के तहत खदान से प्रभावित लोगों को सुविधा देती है। भू- अर्जन अधिकारी की ओर से जिस नाम की अनुशंसा की जाती है, उसे रोजगार देती है। कुछ असामाजिक तत्व अपात्र लोगों को लाभ और रोजगार देने के लिए प्रबंधन पर दबाव बना रहे हैं।
इसके लिए लगातार आंदोलन कर रहे हैं। इससे प्रबंधन को आर्थिक नुकसान हो रहा है। प्रबंधन ने कोर्ट में परिवाद दायर आंदोलन को रोकने के लिए स्थाई आदेश जारी करने की मांग की है। इस परिवाद में कुसमुंडा प्रबंधन ने चार लोगों पार्टी बनाया है। इसमें प्रशांत झा, दामोदर श्याम, जय कौशिक और दीनानाथ कश्यप शामिल हैं। इसके अलावा कुसमुंडा प्रबंधन ने छत्तीसगढ़ शासन जिलाध्यक्ष को भी वाद में शामिल किया है।
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पुलिस पर लगाया कार्रवाई नहीं करने का आरोप एसईसीएल प्रबंधन ने कुसमुंडा पुलिस पर सवाल उठाते हुए गंभीर आरोप लगाया है। प्रबंधन ने शिकायत के बावजूद आंदोलनकारियों पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है। प्रबंधन ने बताया कि खदान क्षेत्र में होने वाले आंदोलन की रोकथाम और उनपर कानूनी कार्रवाई की मांग को लेकर कुसमुंडा थाना में शिकायत की गई। मगर थाना प्रभारी ने कार्रवाई नहीं की। इससे आंदोलनकारियों के हौसले बुलंद हैं। आगे भी आंदोलन करने की बात कह रहे हैं।
पांच करोड़ का नुकसान प्रबंधन की ओर से दायर वाद में कोर्ट को बताया गया कि 11 और 12 सितंबर को कुसमुंडा खदान क्षेत्र में लोगों ने आंदोलन किया था। कोयला परिवहन को बंद करा दिया था। इससे कुसमुंडा के स्थानीय प्रबंधन को पांच करोड़ 38 लाख 58 हजार 770 रुपए का नुकसान हुआ।
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