इस तरह करें संतुलित
चिकित्सक कहते हैं कि शरीर के वजन की तुलना में 10 से 15 फीसदी ही बैग का वजन होना चाहिए। जब एक भारी बैग को कंधे से गलत तरीके से उठाया जाता है तो कंधे पर बोझ बढ़ता है। इसलिए इस तरह के उपाय करना जरूरी है।
– एक लाइटवेट बैग ही बच्चों के लिए लेना चाहिए, जो खुद भारी ना हो।
– बैग में कमर बेल्ट होनी चाहिए। इसका उपयोग करने से पूरे शरीर में अधिक समान रूप से वजन को वितरित करने में मदद करेगा।
– बैग को पूरे दिन की पुस्तकों को ले जाने की बजाएं बच्चों को स्कूल में इसकी सुविधा मिलनी चाहिए कि वह पुस्तकें रखे सके।
स्कूल के अनुसार बैग के वजन में अंतर
पड़ताल करने पर पता चला कि एक ही क्लास की किताबों का वजन स्कूल बदलने पर अलग-अलग हो जाता है। हर स्कूल अपने अनुसार किताबें खरीदवाते हैं। जिसके कारण हर स्कूल में कई तरह की किताबों से अध्यापन होता है। जिसके कारण ही कक्षा के स्कूल बैग का वजन स्कूल बदलने पर बदल जाता है
कमीशन ने बढ़ाया बच्चों का बोझ
पुस्तक दुकानों व स्कूलों के बीच के कमीशन ने बच्चों का बोझ बढ़ा दिया है। संबंधित पब्लिकेशन की किताबें खरीदने पर एक तय कमीशन की सौदेबाजी होती है। अभिभावकों को एक ही दुकान से किताबें खरीदने को कहा जाता है। हर क्लास के लिए बंडल पहले ही तैयार रखा होगा है। इनके दाम भी बेहद ज्यादा होते हैं। इस बंडल में स्कूल के लिए अलग व घर के लिए अलग किताब व नोटबुक होते हैं। कई तो गैरजरूरी होते हैं। जिन्हें अभिभावकों को मजबूरन खरीदना पड़ता है।
वर्जन
– लगातार पीठ पर वजन लादकर चलने के लिए इसे मैनेज करना पड़ता है। बच्चे सामने की तरफ झुक कर चलने के आदि हो जाते हैं। इसके साथ ही शरीर की जिस हड्डी पर भार पड़ता है, वहां का विकास धीमा होता है। बस्ते का बोझ ज्यादा होने से बच्चों के सामान्य शारीरिक विकास के साथ ही उनकी उचाईं पर भी फर्क पड़ेगा।
सतदल नाथ, हड्डी रोग विशेषज्ञ,
– 7 किलो मैं नहीं उठा सकता, लेकिन बेटी को हर रोज पीठ पर लाद कर लाना पड़ता है इससे मैं खुद हैरान हूं। इस संबंध में स्कूल प्रबंधक से मिलकर बात की जाएगी। कुछ पुस्तकों को भी कम करने कहा जाएगा।
सतिश पाठक, अभिभावक