कोरबा

SECL का उत्पादन में घट रहा दबदबा, 3 साल से लक्ष्य तक नहीं पहुंच पा रही कंपनी, देखिए अब तक के आकंड़े

Korba News: वित्तीय वर्ष 2019-20 में एसईसीएल उत्पादन के क्षेत्र में नंबर-1 कंपनी थी, जो वित्तीय वर्ष 2023-24 आते-आते एमसीएल से काफी पीछे हो गई। इसके कई कारण हैं।

कोरबाDec 21, 2024 / 09:01 am

Khyati Parihar

CG Coal News: कोल इंडिया की सहयोगी कंपनी साउथ इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) बिलासपुर का दबदबा कोयला उत्पादन के क्षेत्र में लगातार घट रहा है। तीन साल से कंपनी नंबर-1 नहीं बन पा रही है। एसईसीएल को दूसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ रहा है। इसी तीन साल की अवधि में कोल इंडिया की साथी कंपनी महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड ने एसईसीएल को उत्पादन में कड़ी चुनौती दी। एसईसीएल को पछाड़ते हुए एमसीएल नंबर-1 कंपनी बन गई और यह दर्जा अभी भी बरकरार है।
वित्तीय वर्ष 2019-20 में एसईसीएल ने 150.54 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया था, यह कोल इंडिया की किसी भी सहयोगी कंपनी में सबसे ज्यादा था। 2020-21 में भी एसईसीएल कोयला उत्पादन के क्षेत्र में सरताज रहा और कोविड-19 का प्रकोप जैसे-जैसे बढ़ता गया कंपनी उत्पादन के मोर्चे पर कमजोर होते चली गई। कंपनी का कोयला उत्पादन इस अवधि में घटता गया। 2021-22 के समाप्त होते-होते कंपनी का कोयला उत्पादन 150.54 मिलियन टन से घटकर 142.51 मिलियन टन पहुंच गया।
समय के साथ कंपनी ने उत्पादन में थोड़ा सुधार किया, लेकिन सुधार इतना कारगर नहीं हुआ कि वह कोल इंडिया की सहयोगी कंपनी महानदी कोलफील्ड्स को पछाड़ सके। वित्तीय वर्ष 2023-24 तक 187 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया। जबकि इसी अवधि में महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड ने अपने निर्धारित लक्ष्य 204 मिलियन टन से बढ़कर 206.1 मिलियन टन कोयला का उत्पादन किया। इस एक साल में महानदी कोलफील्ड्स ने एसईसीएल से 19.1 मिलियन टन ज्यादा कोयला खनन किया।
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उत्पादन में गिरावट का सबसे बड़ा कारण जमीन संकट

वित्तीय वर्ष 2019-20 में एसईसीएल उत्पादन के क्षेत्र में नंबर-1 कंपनी थी, जो वित्तीय वर्ष 2023-24 आते-आते एमसीएल से काफी पीछे हो गई। इसके कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण जमीन का संकट बताया जा रहा है। एसईसीएल को कुल कोयला उत्पादन का दो तिहाई हिस्सा कोरबा कोलफील्ड्स से निकलता है। इसमें कोरबा के साथ-साथ रायगढ़ जिले की खदानें भी शामिल हैं।
कोरबा में कोल इंडिया की मेगा प्रोजेक्ट गेवरा, दीपका और कुसमुंडा हैं, जिनकी अधिकतम उत्पादन क्षमता वर्तमान में क्रमश: 70 मिलि. टन, 45 मिलि.टन और 50 मिलियन टन है। वर्तमान में तीनों ही खदानें जमीन संकट से जूझ रही है। इससे एसईसीएल कोयला खनन पूरी क्षमता से नहीं कर पा रहा है और उत्पादन लक्ष्य धीरे-धीरे पिछड़ता जा रहा है। इसके अलावा आउट सोर्सिंग में अकुशल कर्मचारी भी उत्पादन में कमी के बड़े कारण बताए जा रहे हैं।

गेवरा एशिया की सबसे बड़ी और कुसमुंडा दूसरी कोयला खदान

गेवरा कोल इंडिया की एशिया में सबसे बड़ी कोयला खदान है। यहां से सालाना 70 मिलियन टन कोयला बाहर निकालने के लिए केंद्र सरकार ने पर्यावरणीय स्वीकृति दी है, जबकि कुसमुंडा प्रोजेक्ट गेवरा के बाद एशिया की दूसरी बड़ी कोयला खदान है। यहां से 65 मिलियन टन तक कोयला उत्पादन सालाना किया जा सकता है।
एसईसीएल पूरी क्षमता से कोयला उत्पादन कर रही है। लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूरी टीम एकजुट होकर कार्य कर रही है। वर्तमान में कंपनी के समक्ष जमीन को लेकर समस्या है। इसे कंपनी प्रदेश सरकार के साथ मिलकर दूर करने का प्रयास कर रही है। जल्द ही समस्या का समाधान कर लिया जाएगा। – डॉ. सनीषचंद्र, जनसंपर्क अधिकारी, एसईसीएल, बिलासपुर

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