CG Coal Company: एसईसीएल को लगा तगड़ा झटका, 7 हजार करोड़ का लगा सकता है जुर्माना, जानें क्या है पूरा मामला
CG Coal Company: कोरबा के चारों कोयला कंपनियों पर क्षमता से अधिक खनन के मामले में 7000 करोड़ रुपए से ज्यादा का जुर्माना लग सकता है। सबसे ज्यादा जुर्माना एसईसीएल की गेवरा प्रोजेक्ट पर लगना तय है।
CG Coal Company: छत्तीसगढ़ के कोरबा में बताया जाता है कि कोयला खनन के लिए एसईसीएल ने गेवरा, दीपका, कुसमुंडा और कोरबा एरिया में बड़े पैमाने पर जमीन का अधिग्रहण किया है। कोयला खनन कितने हेक्टेयर में कितना किया जाना है इसे लेकर समय-समय पर पर्यावर्णीय स्वीकृति ली जाती है। मगर एसईसीएल के प्रबंधन ने जितनी स्वीकृति ली उससे ज्यादा खनन किया। कई वर्षों तक यह मामला दबा रहा लेकिन अब यह बाहर आ गया है।
CG Coal Company: सूचना का अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर स्पष्ट हुआ है कि कोयला कंपनी को कब-कब कितनी मात्रा में कोयला खनन की अनुमति दी गई और प्रबंधन ने अनुमति से ज्यादा खनन किस वित्तीय वर्ष में किया। दस्तावेजों को कार्रवाई के लिए खनिज विभाग को सौंपा गया। इसके आधार पर खनिज विभाग ने चारों एरिया प्रमुखों को कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्णय लिया है। सूत्रों ने बताया कि खनिज विभाग ने नोटिस की भाषा लिखने का कार्य पूरा कर लिया है और जल्द ही यह नोटिस कोयला कंपनियों के स्थानीय प्रबंधन को जारी किया जाएगा।
बताया जाता है कि चारों कंपनियों पर क्षमता से अधिक खनन के मामले में 7000 करोड़ रुपए से ज्यादा का जुर्माना लग सकता है। सबसे ज्यादा जुर्माना एसईसीएल की गेवरा प्रोजेक्ट पर लगना तय है। सूचना का अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेजों से पता चलता है कि गेवरा प्रबंधन पर 3963 करोड़ रुपए का जुर्माना बनता है। इसी तरह दीपका प्रबंधन पर भी स्वीकृति से ज्यादा कोयला खनन के मामले में 3173.68 करोड़ रुपए का जुर्माना लग सकता है। जुर्माने की राशि कुसमुंडा और कोरबा एरिया प्रबंधन पर भी लग सकती है। इसे लेकर खनिज विभाग ने अपनी तैयारी शुरू की है।
2001 से 2016 के बीच क्षमता से अधिक खनन व माइनिंग प्लान के उल्लंघन का मामला
बताया जाता है कि जुर्माने की यह कार्रवाई क्षमता से अधिक कोयला निकालकर माइनिंग एक्शन प्लान के उल्लंघन से जुड़ा है। वित्तीय वर्ष 2000 से 2001 से यह मामला दस्तावेजों के जरिए पकड़ में आया है। 2015-16 तक गेवरा, दीपका, कुसमुंडा और कोरबा एरिया में समय-समय पर कई बार माइनिंग एक्शन प्लान का उल्लंघन हुआ। कंपनी को साल में जितना कोयला निकालना था उससे ज्यादा कोयला बाहर निकाला गया। इसमें कायदे-कानून की अनदेखी हुई। दस्तावेजों के जरिए बताया गया है कि दीपका प्रबंधन को वित्तीय वर्ष 2000-01 से 2003-04 तक 10-10 मिलियन टन कोयला खनन करना था मगर उस समय के तत्कालीन प्रबंधन ने इन वर्षों में क्रमश: 18.89, 18.97, 19.54 और 21.88 मिलियन टन कोयला खनन किया।
इसके बाद वित्तीय वर्ष 2004-05 में यहां से 25 मिलियन टन कोयला खोदने की स्वीकृति मिली जो 2008-09 तक जारी रही। इसी अवधि में कंपनी ने क्रमश: 26.15, 26.46, 29.05 और 32.01 मिलियन टन कोयला खनन किया। इससे पर्यावरण को नुकसान हुआ और खनिज विभाग ने 3173.68 करोड़ रुपए का अर्थदंड आरोपित किया है। दीपका के साथ-साथ गेवरा और कुसमुंडा के अलावा कोरबा क्षेत्र से भी सामने आया है।
कोयला कंपनी पर यह जुर्माना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए लगाया गया है। बताया गया है कि माइनिंग एक्शन प्लान या पर्यावर्णीय समति का उल्लंघन करने से इस क्षेत्र का पर्यावरण प्रभावित हुआ। हवा और पानी पर विपरित असर पड़ा। इनकी भरपाई के लिए खनिज विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला दिया है जिसमें पर्यावरण नियमों की अनदेखी करने पर संबंधित कोयला कंपनियाें से जुर्माना वसूली का प्रावधान है। पर्यावरण की इस कार्रवाई से कोयला कंपनी के स्थानीय प्रबंधन में हड़कंप मचना तय है। इस पर कंपनी का रूख क्या होगा यह देखना होगा।
स्वीकृति से ज्यादा कोयला खनन के मामले में कोल इंडिया की सहयोगी कंपनी एसईसीएल की मुश्किलें बढ़ने वाली है। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देकर जिला प्रशासन भारी भरकम जुर्माना वसूलने की तैयारी में लगा हुआ है। नोटिस जारी करने के लिए लगभग सभी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। खनिज विभाग का कहना है कि इसे लेकर पूर्व में भी कंपनी को नोटिस जारी किया गया था लेकिन कंपनी की ओर से इस पर क्या कार्रवाई की गई यह नहीं बताया गया। अब मामला दोबारा सामने आने पर खनिज विभाग इस पर कड़ी कार्रवाई की बात कह रहा है।
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