गौरतलब है कि वर्तमान में बांगो बांध में 40-40 मेगावाट की तीन इकाईयों से बिजली का उत्पादन हो रहा है। हसदेव नदी पर बांगो बांध के आसपास ही जगह चिंहित करने के लिए टीम ने सर्वे किया था। टीम को ऐसी जगह की तलाश थी जहां पर ऊंचाई से पानी नीचे गिराकर उससे बिजली बनाकर फिर उसी का पानी का उपयोग किया जा सकता हो। बताया जा रहा है कि बांगो बांध से करीब 32 किमी दूर जगह चिंहित कर सर्वे का काम पूरा कर लिया गया है। अब संयंत्र की लागत सहित पूरी डीपीआर तैयार होगी। नए साल में इसका टेंडर लगने के बाद काम प्रारंभ होगा।
यह भी पढ़ें: कोरबा के अलावा चार अन्य जगहों पर पंप स्टोरेज तकनीक से बनने वाले संयंत्रों के लिए स्थल चिंहित किया जाना है। जगह का चयन होने के बाद सभी संयंत्र का एक साथ डीपीआर बनाया जाएगा। इसी वजह से देरी हो रही है।
यह भी पढ़ें: CG Train news: ट्रेनों में वेटिंग लिस्ट 200 के पार, छठ पूजा तक नहीं मिलेगी कन्फर्म सीट इधर मांड नदी के मुहाने पर हाइड्रल प्लांट का काम शुरू केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण ने पिछले साल प्रदेश में आधा दर्जन नए हाइड्रल प्लांट के लिए स्वीकृति दी थी। कोरबा और रायगढ़ जिले के मुहाने में मांड नदी पर हाइड्रल प्लांट का काम शुरु हो गया है। गौरतलब है कि मांड नदी दोनों जिलों के सीमावर्ती इलाकों के बीच से गुजरती है। इसी के बीच भानूपखरा गांव में इस प्रोजेक्ट पर काम शुरु किया गया है। इस नदी में साल भर जलस्तर होता है। दक्षिण की धनवादा कंपनी को इसके लिए काम दिया गया है।
कहां-कहां पर प्रस्तावित हैं संयंत्र हसदेव बांगो बांध 1200 मेगावाट सिकासेर जलाशय 1200 मेगावाट डांगरी, जशपुर 1400 मेगावाट कीटपल्ली, बलरामपुर 1800 मेगावाट रौनी 2100 मेगावाट यह भी पढ़ें: CG Diwali 2023: इस बार 6 दिन की रहेगी दीपावली…उमंग, उल्लास का रहेगा माहौल
थर्मल संयंत्र से पहले पंप स्टोरेज को अस्तित्व में लाने की तैयारी प्रस्तावित 1320 मेगावाट के थर्मल संयंत्र से पहले पंप स्टोरेज संयंत्र को अस्तित्व में लाने की तैयारी है। दरअसल थर्मल संयंत्र 2029-30 तक बन सकेगा। तब तक बिजली की डिमांड और भी बढ़ेगी। वर्तमान में ही सेंट्रल सेक्टर से बिजली अधिक लेनी पड़ रही है। इसलिए उत्पादन कंपनी का प्रयास है कि पंप स्टोरेज तकनीक वाले संयंत्र आगामी ढाई से तीन साल में तैयार हो जाएं।
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इस तरह होगी बिजली तैयार गुरुत्वाकर्षण स्थितिज ऊर्जा (कायनेटिक फोर्स) का उपयोग करते हुए पानी को निचले स्थान पर छोड़कर टरबाइन घुमाई जाती है, जिससे बिजली बनती है। पुरानी तकनीक वाले जल विद्युत संयंत्रों में पानी नदी में बहा दिया जाता है, लेकिन नई तकनीक में टरबाई से पानी गिरने के बाद उसे स्टोर किया जा सकेगा। दिन के समय सौर ऊर्जा से मिलने वाली सस्ती बिजली से पानी को फिर से ऊपर वाले स्टोरेज में डाला जाएगा। इससे एक ही पानी का उपयोग कई बार बिजली बनाने में किया जा सकेगा।
इस तरह होगी बिजली तैयार गुरुत्वाकर्षण स्थितिज ऊर्जा (कायनेटिक फोर्स) का उपयोग करते हुए पानी को निचले स्थान पर छोड़कर टरबाइन घुमाई जाती है, जिससे बिजली बनती है। पुरानी तकनीक वाले जल विद्युत संयंत्रों में पानी नदी में बहा दिया जाता है, लेकिन नई तकनीक में टरबाई से पानी गिरने के बाद उसे स्टोर किया जा सकेगा। दिन के समय सौर ऊर्जा से मिलने वाली सस्ती बिजली से पानी को फिर से ऊपर वाले स्टोरेज में डाला जाएगा। इससे एक ही पानी का उपयोग कई बार बिजली बनाने में किया जा सकेगा।