ग्रामीणाें के लिए मोबाइल अब सिर्फ शो-पीस बनकर रह गई है। इसे लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है। ग्रामीणाें ने बताया कि लगभग पांच साल पहले सार्वजनिक कंपनी बीएसएनएल और निजी कंपनी ने ग्राम पंचायत सपलवा, पहाड़गांव, सुरका और राहा में टावर लगाया था। इसे लगाए हुए पांच साल हो गए है, लेकिन एक दिन भी मोबाइल पर इंटरनेट की सुविधा नहीं मिली।
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मोबाइल पर नेटवर्क भी नहीं आ रहा है। इस डिजिटल युग में अब भी ग्रामीण संचार सुविधा से कोसो दूर है। महिलाओं के प्रसव, दुर्घटना, आगजनी सहित जैसी स्थिति निर्मित होने पर एंबुलेंस को सूचना देने में काफी परेशानी आ रही है। कई बार स्थिति ऐसी होती है कि ग्रामीणों को स्वयं के वाहन से ही 70 से 80 किलोमीटर दूरी तय कर जिला मुख्यालय पहुंच रहे हैं। इस अव्यवस्था ग्रामीणाें में नाराजगी है। इसे लेकर ग्रामीणों ने भी कई बार प्रशासन को अवगत कराया है, लेकिन प्रशासन इसे लेकर गंभीरता नहीं दिखा रही है। इससे क्षेत्रवासियों की परेशानी बनी हुई है। हाई स्पीड के जमाने में ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क तक नहीं ग्रामीणों ने बताया कि हाईस्पीड इंटरनेट का दावा कर कंपनियों का गांव में नेटवर्क नहीं है। वर्तमान समय में प्रत्येक कार्य अब ऑनलाइन हो गया है। कक्षा पहली की पढ़ाई से लेकर महाविद्यालय की प्रवेश और परीक्षा फॉर्म भी ऑनलाइन प्रक्रिया ऑनलाइन किया जा चुका है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधा के अभाव में बच्चे शिक्षा से लेकर हर क्षेत्र में पीछे हो रहे हैं।
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बिजली, पानी और मोबाइल कनेक्टिविटी जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। ग्राम बारीउमरांव, सपलवा और पहाड़गांव के ग्रामीणों ने विधानसभा चुनाव में हिस्सा नहीं लेने का एलान कर दिया है। गांव के सरहद पर चुनाव बहिष्कार का बैनर पोस्टर लगाने कहा है। – ललित सिंह, सरपंच, सपलवा चुनाव का बहिष्कार हमारे तीन से चार गांव के लोगों का निर्णय है. हमने निर्णय इसलिए लिया है। विकास के नमोनिशान नहीं है। इसीलिए चुनाव का बहिष्कार करेंगें। जब तक हमारे गांव में मोबाईल नेटवर्क चालू नहीं होता, तब तक मतदान नहीं करने निर्णय लिया है। – राजकुमार कंवर, जनपद सदस्य
पिछले विधानसभा चुनाव से पहले गांव में मोबाइल टावर लगाया गया है। मोबाईल नेटवर्क और बिजली के बिना विद्यार्थियों का पढ़ाई लिखाई ठप है। जीवन अंधकार में हो गया है। गांव में मोबाइल, बिजली की सुविधा नहीं होती है तो हम मतदान नहीं करेंगे। – नंदकुमार, ग्रामीण