840 मेगावाट की इकाइयां होगी बंद
गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कोरबा पश्चिम संयंत्र परिसर में स्थित 210-210 मेगवाट की चार इकाइयों को बंद करने का आदेश दिया है। ट्रिब्यूनल की आदेश पर इन इकाइयों को 2020- 21 तक बंद किया जाना था। लेकिन बिजली की वर्तमान जरुरत होने को देखते हुए प्रदेश सरकार 210-210 मेगावाट की चार इकाइयों को बंद करने के पक्ष में नहीं है। लेकिन सरकार पर पुराने संयंत्र को बंद करने का दबाव है। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने कोरबा पश्चिम यह निर्णय लिया है।
50-50 मेगावाट की चार इकाइयां पहले से बंद
कोरबा में 50-50 मेगावाट की चार इकाइयां पहले ही बंद हो चुकी है। 210- 210मेगावाट की चार इकाइयां आने वाले वर्षों में बंद हो जाएंगी। इससे प्रदेश में बिजली की समस्या खड़ी हो सकती है। प्रदेश सरकार को ऊंची दर पर निजी कंपनियों से बिजली खरीदनी पड़ सकती है। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने नया संयंत्र लगाने का निर्णय लिया है।
कोरबा में खुशी की लहर
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की इस घोषणा से कोरबा में खुशी की लहर दौड़ गई है। श्रमिक संगठन लंबे समय से कोरबा में बिजली कंपनी का नया संयत्र स्थापित करने की मांग प्रदेश सरकार से कर रहे थे। इसेे लेकर छत्तीसगढ़ विद्युत कर्मचारी संघ फेडरेशन और छत्तीसगढ़ बिजली उत्पादन कर्मचारी महासंघ की ओर से लगातार प्रदेश सरकार से मांग की जा रही थी।