कोंडागांव जिला के बड़ेराजपुर ब्लॉक के ग्राम बांसकोट निवासी शिवबती मंडावी की शादी 31 जनवरी को ओडिशा निवासी चंदन नेताम के साथ होने वाली थी। 30 जनवरी को दुल्हन का हल्दी का रस्म चल रहा था, इसी दौरान अचानक उसे प्रसव पीड़ा हुई और उसे अस्पताल ले जाया गया, यहां उसने स्वस्थ बेटे को जन्म दिया।
बच्चे के जन्म लेते ही वर व वधू पक्ष के लोगों की खुशियां दोगुनी हो गई। बताया जा रहा है कि दुल्हन पूर्व से ही गर्भवती थी। इस संबंध में दुल्हन की मां सरिता मंडावी ने बताया कि आदिवासी समाज में पैठू प्रथा प्रचलित है, उसकी बेटी भी उनकी मर्जी से ओडिशा में दूल्हा चंदन के घर पैठू गई थी।
8 महीने तक वह उसके साथ रही थी। इस बीच वह गर्भवती (Pregnant) हो गई थी, तब दोनों पक्ष के लोगों ने तय किया कि अब दोनों की शादी कर देनी चाहिए। इस शादी का निमंत्रण कार्ड छपवाकर लड़के वालों ने उन्हें भेजा था। इसमें दोनों पक्ष के रिश्तेदार भी शामिल हुए। लड़के के पिता छेदीलाल नेताम ने बताया कि वे आसपास के लोगों को निमंत्रण देकर आए थे। वधू पक्ष के लोग भी शादी में शामिल होने पहुंच चुके थे।
ये है पैठू प्रथा
आदिवासियों की अपनी एक अलग परंपरा व प्रथा (Custom) है जिसका निर्वहन वे वर्षों से करते आ रहे हैं। इनमें से ही एक प्रथा पैठू है जो अब भी प्रचलन में है। इसके तहत समाज की लड़की अपनी व अपने परिवार की मर्जी से पसंद के लड़के के घर जाती है और उसके साथ रहती है।
लड़की के घरवालों की भी इसमें सहमति होती है। बात जमने पर बाद में दोनों पक्ष के लोग उनकी शादी करा देते हैं। ऐसी शादी अक्सर नवाखाई या अन्य त्यौहार के दौरान तय किए जाते हैं।