इन पांच वर्षों में उन्होंने अपने क्षेत्र में 71 पशु पाठशालाओं का आयोजन किया जिससे 9080 पशुपालकों को जानवरों के टीकाकरण, संतुलित पशु आहार और उचित आवास की जानकारी मिल चुकी है। इस अवधि में उन्होंने 3090 गाय, 5330 बैल, 6560 भैंस, 32125 मुर्गे-मुर्गियां और 5855 बकरे-बकरियों का टीकाकरण किया है। डिगली की इस प्रेरणादायक यात्रा से यह बात स्पष्ट होती है (cg news) की अपने परिवार की जिम्मेदारी को आर्थिक तंगी से पार पाने में सक्षम है।
संयुक्त परिवार में करती थी परंपारिक खेती जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर मूलमुला में रहने वाली डिगली देवांगन पशु सखी के तौर पर 2018 से कार्य कर रही हैं। यह कार्य उन्होंने शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं में से एक बिहान से जुड़ कर प्रारम्भ किया और वे इस क्षेत्र की अन्य महिलाओं के लिए अब एक प्रेरणास्रोत भी बन गई हैं । डिगली एक ग्रामीण संयुक्त परिवार से आती हैं और इसका प्रभाव सीधे-सीधे उनकी आर्थिक स्थिति पर पड़ता था, डिगली के दो बच्चे हैं जिनके बेहतर भविष्य के लिए उन्होंने जीवकोपार्जन के अन्य माध्यम तालाशने का निर्णय लिया और उनकी इसी खोज ने उन्हें सन 2018 में गांव में संचालित रानी लक्ष्मीबाई स्व सहायता से जोड़ा। क्यूंकि उनके परिवार में पारंपरिक कृषि के अलावा आय का अन्य कोई साधन मौजूद नहीं था।
आत्मविश्वास में हुई वृद्धि आज गांव में दसवीं तक पढ़ी-लिखी डिगली को एक अलग पहचान मिल गई है और इसी के साथ गांव में एक पंच के रूप में भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन कर रही हैं। बिहान योजना से जुड़ कर उनके आत्मविश्वास में भी वृद्धि हुई है और वे अपने गांव में अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन गई हैं। डिगली की इस प्रेरणादायक यात्रा से यह बात स्पष्ट होती है की अपनी क्षमता एवं मेहनत से कोई भी व्यक्ति अपने परिवार को हर प्रकार की आर्थिक तंगी से पार पा सकता है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत संचालित बिहान योजना से डिगली ने अपने गाँव की प्रगति एवं स शक्तिकरण की दिशा में एक महत्तवपूर्ण कदम बढाया है।