इसमें से 5 दर्जन से ज्यादा आत्मसमर्पित नक्सली (Surrendered Naxal)
नारायणपुर और कांकेर जिले के भी हैं। जिसमें से 40
नक्सलियों को आरक्षक और गोपनीय सैनिक के साथ ही अन्य पदों पर नियुक्त किया गया है।ऐसे नक्सलियों (Naxalite) को जो ऐसे कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं है,जिला व पुलिस प्रशासन मिलकर रोजगार दिलाने के प्रयास में है।
पढ़ना ना भूलें नक्सलियों की शर्मनाक हरकत,रह जाएंगे हैरान
सुरक्षाबलों के बढ़ते दबाव के चलते यह संभव हो पाया है कि इलाके में तकरीबन डेढ़ दशक पहले जो इलाका लाल आतंक (Red Terror) की गिरफ्त में था। वह गांव और वहां के रहने वाले ग्रामीण खुशहाल जीवन गुजार रहे हैं। हालांकि अभी भी जिले के कुछ इलाके ऐसे हैं जहां माओवादियों की पैठ आज भी बरकरार है। भले ही उनकी कायराना हरकत कम हो गई हो लेकिन वह समय-समय पर अपनी मौजूदगी दर्ज करवाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को मिलती है ये सुविधाएं आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों (Surrendered Naxal) को प्रोत्साहन राशि के साथ ही राज्य सरकारी नौकरी,पीएम आवास,स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ,कृषि योग्य भूमि और बच्चों को बेहतर शिक्षा की सुविधा के साथ ही मुख्यमंत्री खाद्यान्न योजना का लाभ मिलता है। इस समाज में इज्जत से जीने का हक भी समर्थन के बाद मिल जाता है। वर्तमान में जिला और पुलिस प्रशासन दोनों संयुक्त रूप से समर्पण करने वाले नक्सलियों (Naxalite) को उनके परिवारों की सुरक्षा के साथ ही रोजगार दिलाने में जुटा हुआ है। यही वजह है की नक्सली अब नक्सलवाद (Naxalism) से नाता तोड़ रहे हैं।
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