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इस गांव में रावण का दहन नही बल्कि वध रामलीला के बाद किया जाता है। ग्राम पटेल भारद्वाज बैध ने बताया कि, हमारे गांव में पूर्वजों से परंपरा चली आ रही है। हमारे गांव में रावण के पुलते का दहन नहीं करते बल्कि हरसाल रावण की खंडित हुई प्रतिमा को नए सीरे से सजाया-सवारा जाता है। तीन दिनों तक चलने वाले रामलीला के बाद विजयी दशमी पर मिट्टी से बने रावण का वध किया जाता है।
इस गांव में रावण का दहन नही बल्कि वध रामलीला के बाद किया जाता है। ग्राम पटेल भारद्वाज बैध ने बताया कि, हमारे गांव में पूर्वजों से परंपरा चली आ रही है। हमारे गांव में रावण के पुलते का दहन नहीं करते बल्कि हरसाल रावण की खंडित हुई प्रतिमा को नए सीरे से सजाया-सवारा जाता है। तीन दिनों तक चलने वाले रामलीला के बाद विजयी दशमी पर मिट्टी से बने रावण का वध किया जाता है।
यह भी पढ़ें : CG Politics : गृहमंत्री शाह ने कहा, राज्य बना घोटालों का गढ़… CM बघेल बोले – स्टील प्लांट पर करें घोषणा उन्होंने बताया कि, जिस तरह से अन्य जगहों पर रावण के पुलते के दहन के बाद उसे बचे राख व लकड़ी को लोग अपने घर कई मान्यताओं के आधार पर ले जाते है ठीक उसी प्रकार गांव में जब रावण की नाभी पर भगवान श्रीराम के द्वारा तीर चलाकर उसका वध कर दिया जाता है तब रावण की नाभी से निकले वाले रक्तरूपी कलर का लोग तिलक करते हैं। जानकारी के मुताबिक यहॉ पिछले पांच वर्षो से राजेंद्र बैध रामलीला में रावण व किसन समरथ राम की भूमिका निभा रहे है। इस आयोजन को देखने के लिए आसपास के लोग भी बड़ी संख्या में यहॉ पहुंचते हैैं।