काम की खबर: वैज्ञानिकों ने किया रिसर्च, अब धान की खेती के लिए नहीं है पानी की जरूरत
आज हम आपको बताएंगे कैसे एक विशेष खेती करके अपने आय में वृद्धि कर सकते हैं तथा मोती रकम कमा सकते हैं। हर्बल कृषि विशेषज्ञ व 3 वर्षों तक देश के सर्वश्रेष्ठ किसान का अवार्ड प्राप्त करने वाले उन्नत किसान डॉ. राजाराम त्रिपाठी ने अपने हर्बल फार्म चिखलपुटी में बीस वर्षो तक लगातार शोध करके यह फसल देश के अन्य भागों में कैसे होगी इसका तरीका खोजा है। उन्होंने टिशू कल्चर (Tissue culture) कर काली मिर्च की ऐसी लता बनाई है जो कम से कम नमी में और अधिक से अधिक तापमान में भी बढिय़ा उत्पादन दे सकें। काली मिर्च (Black pepper) की इस प्रजाति का पौधा नर्सरी (Plant nursery) में 2 से 3 साल की देखभाल व 6 माह की हार्डनिंग के बाद खेतों में लगाने लायक हो जाता है।Video: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने की हरेली यात्रा, नृत्य करते नज़र आए कवासी लखमा
उन्होंने काली मिर्च की लता को सहारा तथा निरंतर मुफ्त भोजन देने वाले एक ऐसे साथी पौधे को खोज की है जो उसकी अद्वितीय जोडी बन चुकी है। यह कहना गलत नहीं होगा कि, काली मिर्च (Black pepper) के महत्व को हमने हमेशा कम करके आंका है। लेकिन यह हमे लखपति बनाने में सक्षम है। बसर्ते जरुरत है सही मार्ग में कार्य करने की।दो दशक के अध्ययन और प्रयत्न के बाद आई बात सामने
डॉ त्रिपाठी ने अपने दो दशक के अध्ययन के बाद बताया कि, आस्ट्रेलियन टीक व काली मिर्च एक साथ लगाया जाए, जिससे कि उनकी जड़ें वृक्षारोपण की शुरुआत से ही एक दूसरे से मिल जाएं एवं सामंजस्य स्थापित कर सकें। इसके मदद से पोषण आहार वितरण में सुविधा हो जाएगी। पहले ऑस्ट्रेलियन टिकवुड एमडी 16 लगाकर दुसरे साल काली मिर्च लगाने की भी सलाह देते है।
Video: सेल्फी लेते वक्त फिसल गया पैर, उफनते नदी में जा पहुंची युवती
लेकिन उन्होंने बताया कि, इस काली मिर्च को महुआ, आम, इमली, सागौन, आदि के तैयार पेड़ों पर भी चढ़ाया जा सकता है। तैयार खड़ी पेड़ो में काली मिर्च लगाकर अधिक उत्पादन पाने के लिए 2 फ़ीट से अधिक गोलाई के पेड़ों में प्रति पेड़ दो काली मिर्च (Black pepper) के पौधे लगाने चाहिए। इसी तरह ज्यादा मोटे पेड़ों की चारों ओर 1 फ़ीट क्षेत्र छोड़ के काली मिर्च के 4 पौधे भी लगा सकते हैं। जिससे कि काली मिर्च का उत्पादन हमें ज्यादा मिलता है।जिला प्रशासन भी दे रहा बढ़ावा
काली मिर्च की खेती को लेकर जिला प्रशासन भी इसे बढ़ावा देने में लगा हुआ है। मयूरडोंगर प्रोजेक्ट में यहां के किसानों के साथ ही वनाधिकार पट्टाधारियों को भी काली मिर्च लगाने की बात कही गई थी जिससे कि पेड़ों की कटाई भी न हो और वनाधिकार पट्टाधारियों को कालीमिर्च से लाभ भी हो जाए। ज्ञात हो कि, चार साल पहले दक्षिण वनमंडल के द्वारा पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर यहां एक विशालक्षेत्र में कालीमिर्च (Black pepper) के पौधे तैयार करने के साथ ही इसका वितरण भी किसानों ने किया।