एक के बाद एक 3 बाई 2 के 16 नग कैनवास में यह कलाकृति उकेरी गई है। जिसमें शबरी के जुठे बेर खाने से लेकर राम हनुमान मिलन, सुर्पनखा से जुड़ी घटना सहित अन्य चरित्र का चिरण बखूबी किया गया है। वैष्णव कहते हैं कि जब उन्होंने इस थीम पर चित्रकारी का निर्णय लिया तो उन्होंने अरण्यकांड को पूरी तरह से पढ़ा और फिर उसी के अनुसार चित्रकारी करते गए। उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा है कि सभी पेंटिंग अयोध्या में प्रदर्शिर्त की जाए। वे कहते है कि मैं एक रिटायर्ड कमर्चारी हूं और मेरी हैसियत नहीं कि अपनी कलाकृति की प्रदशर्नी लगा सकूं। अगर शासन-प्रशासन चाहे तो इन्हें प्रदशिर्त किया जा सकता है।
लोक चित्रकार खेम वैष्णव ने बताया कि अरण्यकांड में दण्डकारण का उल्लेख मिलता है और बस्तर ही दण्डकारण्य का इलाका हैं। इसलिए वे अपने मन में आए राम के चरित्र का चित्रण करते गए। अपनी इस कलाकृति में उत्तर की ओर से दण्डकारण्य में श्रीराम का आगमन और दक्षिण की ओर से निकल जाने का चित्रण किया है। वे कहते है कि, दशकों बाद रामलला अपने धाम में पूणर्रूप से विराजित हो रहे हैं इसके लिए न केवल भारत बल्कि पूरा विश्व इस दिन विशेष की प्रतिक्षा कर रहा है तो मैने भी अपनी लोक चित्रण के माध्यम से श्रीराम को वनवासी राम के रूप में चित्रण करने का प्रयास किया है।
अंगना म शिक्षा के तहत सक्रिय माताओं का हुआ सम्मान अंगना में शिक्षा के तहत प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन-बच्चों के बुनियादी भाषा गणित कौशल के विकास के लिए स्कूल रेडिनेस कार्यक्रम राज्य स्तरीय प्रोग्राम ’’अंगना मा शिक्षा’’ कोरोना महामारी के बाद से पूरे राज्य में संचालित है। बकोदागुड़ा के शासकीय प्राथमिक शाला स्कूल बड़ेकनेरा में कार्यशाला का आयोजन किया गया। नीलम यादव, उर्मिला गौतम, चेतना बघेल, एवं मयाराम उइके, गौतम राम पांडे, आरपी मिश्रा, संकुल केंद्र बड़ेकनेरा के द्वारा अंगना मा शिक्षा में शामिल रहे।