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साथ में बाल संरक्षण इकाई एवं चाइल्ड लाइन के कर्मचारी भी थे और उन्होंने बच्चों व उनके पालकों का बयान लिया। इस पूरे मामले में स्कूल की मॉनिटर को आगे किया जा रहा है लेकिन संदेह जताया जा रहा है कि मामले में स्कूल की किसी एक शिक्षिका की संलिप्तता है और उसके दबाव में असल बयान सामने नहीं आ पा रहा है। यह पूरा मामला इसलिए भी संदेहास्पद हो जाता है कि आखिर एक बच्ची जो स्कूल की मॉनिटर वह बाकी 25 बच्चियों का हाथ खुद कैसे जला सकती है। अगर वह ऐसा करती भी है तो उसे रोका क्यों नहीं जता। इतनी बड़ी सजा देने की अनुमति उसे किसने दी।
सूचना मिलते ही तुरंत खंड शिक्षा कार्यालय के अधिकारियों के साथ हम पहुंचे और कार्रवाई की अनुशंसा कर उच्च कार्यालय में प्रेषित कर दिया है। – राजू साहू, माकड़ी बीईओ
बच्चे स्कूल में असुरक्षित
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बच्चे स्कूल में असुरक्षित
स्कूल की कक्षा सातवीं की छात्रा मंजू की मां शीतल पटेल कहा ने तेल किसने डाला और कौन-कौन मौजूद था पूछने पर कहा कि स्कूल की कप्तान ने यह कृत्य किया है और इस दौरान स्कूल की सभी शिक्षिकाएं मौजूद थीं। वहीं कक्षा आठवीं में पढ़नेे वाली डिंपल के पिता तिलक दास मानिकपुरी ने कहा कि अब सरकारी स्कूलों में भी बच्चे सुरक्षित नहीं है। इस विषय में आज सुबह ही मुझे पता चला। बच्ची से पूछने पर बच्ची ने कहा कि शिक्षिकाओं के मौजूदगी में यह अमानवीय कृत्य शाला की कप्तान द्वारा किया गया।
बच्चियां टॉयलेट गंदा करके रखते थीं। जिससे सब परेशान थे। कई बार समझाइश देने के बावजूद बच्चों ने वही हरकत की इसलिए साथी बच्चों द्वारा उन्हें दंड दिया गया। -जोहू मरकाम, प्रधान अध्यापिका केरावाही स्कूल