अलगे साल से पानी में तैयरता सोलर प्लांट तैयार करेगा बंगाल
सागरदीधि और मुकुटमणिपुर में लगेला सोलर पावर प्लांट
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अलगे साल से पानी में तैयरता सोलर प्लांट तैयार करेगा बंगाल
पानी में तैयरने वाला सोलर प्लांट लगाने की परियोजना का विस्तारित रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर लिया गया है। सागरदीधि में लगने वाले पानी में तैयरने वाला सोलर प्लांट लगाने में पांच करोड़ रुपए खर्च होगा। इसकी बिजली उत्पादन बढऩे के साथ इसके स्थापित करने के लागत में कमी आईएगी।
कोलकाता
राज्य के बिजली और गैर परम्परागत उर्जा मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने शनिवार को कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार अलग साल से बिजली उत्पादन करने के लिए पानी में तैयरता हुए सोलर प्लांट लगाने का काम शुरू करेगा। प्रारंभ में सरकार पानी में तैयरने वाले दो सोलर प्लांट लगाएगी। इसमें से एक सोलप प्लांट सागरदिघि और दूसरा मुकुटमणिपुर में लगाया जाएगा। वे महानगर में मर्चेंट चेम्बर ऑफ कामर्स (एमसीसी) और वेस्ट बंगाल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड अफिसर्स एसोसिएशन (डब्ल्यूबीएसइबीओए) की ओर से सस्टेनेबल इनीसिएटिव्स इन पावर सेक्टर : वेल्यू फॉर फ्युचर विषय पर आयोजित सम्मेलन में बोल रहे थे। इस मौके पर एमसीसी के हेमंत बांगड़ सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। सम्मेल में उपस्थित उद्योगपतियों और विशेषज्ञों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पानी में तैयरने वाला सोलर प्लांट लगाने की परियोजना का विस्तारित रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर लिया गया है। सागरदीधि में लगने वाले पानी में तैयरने वाला सोलर प्लांट लगाने में पांच करोड़ रुपए खर्च होगा। इसकी बिजली उत्पादन बढऩे के साथ इसके स्थापित करने के लागत में कमी आईएगी। उन्होंने कहा कि गत सात साल में औद्योगिक क्षेत्र में 27.22 प्रतिशत बिजली की मांग बढ़ी है। बंगाल सरकार भारी उद्योग की मांग को पूरा करने के लिए तैयार है। इन दिनों बंगाल में अतिरिक्त बिजली उत्पादन होता है। हमारी सरकार दूसरे राज्यों में बिजली निर्यात करता है। राज्य सरकार की ओर से संचालित बिजली प्लांट को एकुमुलेटेड टेक्निकल एण्ड कमर्सियल (एटीसी) से होने वाली हानि के बारे में बताते हुए शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने कहा कि मौजूदा समय में एटीसी होने वाला घाटा 28 प्रतिशत है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे 11 प्रतिशत पल लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। बैण्डल सहित राज्य के कोलयला से बिजली उत्पादन करने वाले पुराने प्लांट का जिक्र करते हुए बिजली मंत्री ने कहा कि उक्त कोयला आधारित बिजली उत्पादन प्लांट से निकले वाले कार्बन की जांच करने करने के लिए इसमें आधुनिक तकनीक लगाने के संबंध में राज्य सरकार विदेशी कंपनियों से बात कर रही है, जिससे इनकी मीयाद और 25 साल बढ़ सके।
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