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पश्चिम बंगाल: फीका पड़ा फूलों का रंग, पूजा पंडाल में खुशबू कम महकेगी

दक्षिण बंगाल में बाढ़ के कारण फूलों का रंग फीका पड़ गया है। राज्य में हजारों एकड़ फूलों की खेती पानी में कई दिनों तक डूबी रही। इस कारण इस बार पूजा पंडाल में खुशबू कम महकेगी। उत्पादकों के मुताबिक गेंदा, चमेली और रजनीगंधा फूलों की खेती ज्यादा प्रभावित हुई है। सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में पूर्व और पश्चिम मिदनापुर, हुगली और पूर्व बर्दवान के कुछ हिस्से हैं, जो कोलकाता और बंगाल के भीतर तथा बाहर फूलों के प्रमुख स्रोत हैं

कोलकाताOct 06, 2024 / 07:23 pm

Rabindra Rai

पश्चिम बंगाल: फीका पड़ा फूलों का रंग, पूजा पंडाल में खुशबू कम महकेगी

पूर्व, पश्चिम मिदनापुर, हुगली के फूल उत्पादक मायूस

दक्षिण बंगाल में बाढ़ के कारण फूलों का रंग फीका पड़ गया है। राज्य में हजारों एकड़ फूलों की खेती पानी में कई दिनों तक डूबी रही। इस कारण इस बार पूजा पंडाल में खुशबू कम महकेगी। उत्पादकों के मुताबिक गेंदा, चमेली और रजनीगंधा फूलों की खेती ज्यादा प्रभावित हुई है। सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में पूर्व और पश्चिम मिदनापुर, हुगली और पूर्व बर्दवान के कुछ हिस्से हैं, जो कोलकाता और बंगाल के भीतर तथा बाहर फूलों के प्रमुख स्रोत हैं। खासकर त्योहारी सीजन के दौरान फूल उत्पादक मांग को पूरा करने के लिए दुर्गा पूजा से तीन सप्ताह पहले अपनी उपज को कोल्ड स्टोरेज में जमा करना शुरू कर देते हैं। एक फूल उत्पादक ने कहा कि फूलों के भंडारण के बारे में भूल जाइए, अब हमें चिंता है कि पौधे बचेंगे या नहीं। बाढ़ के पानी ने कई बीघे खेतों को डुबो दिया। फूल उत्पादक को 3 लाख का नुकसान होने की आशंका है। उसने कहा कि दुर्गा पूजा के दौरान कोलकाता के अलावा हम झारखंड और बिहार में भी फूलों की आपूर्ति करते थे। इस बार इतने बड़े पैमाने पर फूलों के उत्पादन की कोई संभावना नहीं है।

कई हेक्टेयर जमीन पर फूलों की खेती नष्ट

बागवानी विभाग के एक सूत्र ने कहा कि पूर्व मिदनापुर में 6,000 हेक्टेयर खेतों में से 4,200 हेक्टेयर में पानी में पानी भर गया। पूर्व मिदनापुर के पांसकुड़ा के एक फूल उत्पादक ने कहा कि उसने विशेष रूप से दुर्गा पूजा के मौसम के लिए एक बीघे जमीन पर गेंदे की खेती की थी। पूरी जमीन में पानी भर गया। मुझे भारी नुकसान की आशंका है। पूर्व मिदनापुर के खिराई में 3,000 हेक्टेयर जमीन पर फूलों की खेती होती है। ये क्षेत्र न केवल फूल बाजारों को गुलजार रखते हैं, बल्कि हजारों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। बाढ़ से 2,500 हेक्टेयर जमीन पर फूलों की खेती नष्ट हो गई है।

नुकसान से उबरना मुश्किल: किसान

पूर्व मिदनापुर के कोलाघाट के एक किसान ने कहा कि उसने सर्दियों के फूलों के हजारों पौधे लगाए थे, वे सभी बह गए। मुझे नहीं पता कि मैं इस नुकसान से कैसे उबरूंगा। पूर्व और पश्चिम मिदनापुर को बंगाल की फूलों की घाटी कहा जाता है। इन जिलों से कोलकाता और आसपास के क्षेत्रों में फूलों की आपूर्ति हमेशा होती रहती है। राज्य बागवानी विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि राज्य में बड़े पैमाने पर उगाए जाने वाले फूलों में अन्य मौसमी फूलों के अलावा गेंदा, रजनीगंधा, गुलाब और चमेली की किस्में बेली आदि शामिल हैं।

नहीं कर पा रहे उच्च गुणवत्ता वाले फूलों की आपूर्ति

बंगाल के कुछ जिलों में गत दिनों आई बाढ़ का फूल व्यवसाय पर खासा असर पड़ा है। फूल कारोबारियों का कहना है कि इससे न केवल घरों को नुकसान हुआ बल्कि क्षेत्र के लोगों की आजीविका का साधन फूल उत्पादन भी बुरी तरह प्रभावित हुआ। मेदिनीपुर के फूल उत्पादक श्यामल रजक ने बताया कि बाढ़ के कारण फूलों की फसल काफी हद तक खराब हो गई। वहीं बरसात के कारण भी बड़ी मात्रा में तैयार फूल खराब होने से कई उत्पादक उच्च गुणवत्ता वाले फूल की आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। रजक ने बताया कि मांग के अनुरूप पर्याप्त उत्पादन न होने के कारण बाजार में विशेष रूप से अच्छे फूल की कमी हुई है।
जल्द खराब हो रहे हैं फूल
विष्णु कर्मकार ने बताया कि प्रदेश के कई जिलों में फूल का अच्छा उत्पादन होता है लेकिन सीजन के निकट समय में बाढ़ आने से तकरीबन 25 से 30 प्रतिशत तक फूलों की फसल खराब हो गई और इस साल नवरात्र में फूल पर्याप्त संख्या में नहीं हुए। उन्होंने बताया कि खराब मौसम के कारण तैयार फूल भी बाजार पहुंचने से पहले जल्दी खराब हो रहे हैं। कई क्षेत्रों से अच्छी क्वालिटी के फूल उपलब्ध नहीं रहने से ज्यादातर जगहों पर औसत दर्जे के फूल बिक रहे हैं।

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