धरे के धरे रह गए सोशल डिस्टेंसिंग नियम
आवागमन साधन कम होने के कारण बसों में भीड़ होते ही सोशल डिस्टेंसिंग के नियम धरे के धरे रह गए। मिठाई दुकान, कपड़ा बाजार, आभूषण आदि के अलावा भी कई चीजों की दुकानें खुली। बाजार खुलने से एक तरफ जहां व्यवसायी वर्ग खुश दिखा वहीं मोटिया, मजदूर, ठेला चालक आदि के उदास चेहरे भी खिल उठे। लॉकडाउन 4 खत्म होने के बाद हर वर्ग ने राहत की सांस ली और इतने दिनों तक घरों में कैद रहने के बाद खुले आसमान में भ्रमण करने का अनुभव किया। कुछ प्रतिष्ठानों पर ग्राहकों के लिए सैनेटाइजर-मास्क आदि की व्यवस्था भी नजर आई। तो कहीं सामाजिक दूरी के नारे का उपहास उड़ा। ग्राहकों की भीड़ देख दुकानदारों ने सारे नियम भी ताक पर रख कर दुकानदारी की। कड़ी धूप के बीच सामान ढोते पसीने से तरबतर ठेला चालकों पर बाजारों के खुलने की खुशी भारी रही। कई दिनों बाद आए कुछ दुकानदारों ने महीनों से बन्द दुकानों में साफ-सफाई की तो कुछ ने अपने पुराने कामों को निपटाने में पूरा दिन बिताया। बड़ाबाजार के व्यवसायी नरोत्तम बंसल ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि जब सरकार ने छूट दी है तो बाजार खुलेंगे ही लेकिन इसमें हमारी भी जिम्मेदारी है कि सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क आदि का प्रयोग करते हुए ग्राहकों को जागरूक करें और अनावश्यक भीड़ से बचें। मालापाड़ा निवासी हंसमुख श्रीमाली ने बाजार खुलने पर खुशी जताते हुए कहा कि जब तक कोरोना की कोई दवा नहीं बन जाती मन में डर बना रहेगा। पर इस डर से कब तक डरते रहेंगे। काकुरगाछी स्थित रेडीमेड कपड़ा शोरूम के मालिक मनीष गुप्ता ने बताया कि एक डर का माहौल है। बस में बैठा व्यक्ति नहीं जानता कि उसके बगल वाले यात्री का स्वास्थ्य कैसा है? लेकिन कितने दिन घर में बैठेंगे आखिर तो बाहर निकलना ही होगा। रेडिमेड कपड़े के व्यवसायी विजय रंगा, रेनकोट व छाता व्यापारी रजत सिंघी आदि ने भी हर्ष जताया।