पश्चिम बंगाल सरकार ने हुगली जिले के ऐतिहासिक तारकेश्वर मंदिर का सौन्दर्यीकरण अमृतसर के स्वर्ण मंदिर की तर्ज पर करने का निर्णय ली है। राज्य के शहरी विकास मंत्री तथा तारकेश्वर विकास बोर्ड के चेयरमैन फिरहाद हकीम ने सोमवार को यह जानकारी दी। विधानसभा में संवाददाताओं से बातचीत में हकीम ने कहा कि तारकेश्वर मंदिर व उसके आसपास के इलाक में सौन्दर्यीकरण और बहुतल पार्किंग का निर्माण किया जा रहा है। यह सब मंदिर के प्रमुख पुजारी और मंदिर कमेटी की सहमति से की जा रही है। सरकार मंदिर की सुन्दरता को प्राथमिकता दे रही है।
दूधपुकुर को स्वच्छ बनाने पर जोर- हकीम ने कहा कि जिस तरह स्वर्ण मंदिर के जलाशय को स्वच्छ रखने की व्यवस्था है। उसी तरह राज्य सरकार तारकेश्वर मंदिर से सटे दूधपुकुर को स्वच्छ रखने के लिए अत्याधुनिक मशीन लगाएगी। उल्लेखनीय है कि वाममोर्चा सरकार के शासनकाल में दूधपुकुर के जल प्रदूषित होने को लेकर सवाल उठाया था। बीमारी के भय से तारकेश्वर आने वाले भक्त दूध पुकुर में स्नान करने से परहेज करते हैं। शहरी विकास मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने तारापीठ मंदिर, कालीघाट, दक्षिणेश्वर मंदिर की भांति तारकेश्वर मंदिर को भी सजाने-संवारने की योजना बनाई है। तारकनाथ मंदिर, तारकनाथ के रूप में पूजा की जाती है, भारत के पश्चिम बंगाल के तारकेवार शहर में एक प्रमुख तीर्थ स्थान है। 1729 में निर्मित, मंदिर बंगाल मंदिर वास्तुकला के एक आंचल ढांचे के सामने ‘नटमानंद’ के साथ है। सावन के महीने में यहां हर साल केवल पश्चिम बंगाल ही नहीं बल्कि देश के दूसरे हिस्से से लोग भगवान तारकेश्वरनाथ का जलाभिषेक करने आते हैं।
दक्षिणेश्वर में स्काई वॉक का काम पूरा- हकीम ने बताया कि दक्षिणेश्वर में स्काईवॉक निर्माण का काम लगभग पूरा हो गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उपलब्धता पर इसका उद्घाटन निर्भर करेगा। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री राज्यवासियों को बांग्ला नववर्ष पर उपहार दे सकती हैं।