सूत्रों ने बताया कि जूट आयुक्त की अध्यक्षता में गत १९ अगस्त को हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि जूट बेलर्स एसोसिएशन (जेबीए) जूट का दैनिक भाव के साथ-साथ जेसीआई के दिशा निर्देशों के तहत जूट में नमी की मात्रा को दर्शाएगा। इसे २५ अगस्त से लागू होने पर सहमति बनी थी, जो नहीं माना जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि जेबीए ने गत १७ जुलाई से ही ऐसा कर रहा है। इस पर आपत्ति जताते हुए इजमा ने जेबीए के चेयरमैन को पत्र लिखा। जिसमें उसने जूट के दैनिक भाव के साथ नमी की मात्रा का भी उल्लेख करने का अनुरोध किया है।
इजमा ने सवाल उठाया है कि जूट आयुक्त कार्यालय ने इसमें किसी तरह का संशोधन नहीं किया है, तो जेबीए किस आधार पर इसे नहीं माना। दूसरी ओर, भारतीय जूट निगम ने भी जूट बेलर्स एसोसिएशन के सचिव को पत्र लिख कर जूट की नमी मापने के लिए इंडियन जूट इंडस्ट्रीज रिसर्च एसोसिएशन (इजिरा) की ओर से विकसित ४ पिन इलेक्ट्रोड वाली म्वॉयसचर मशीन का इस्ते माल करने को कहा है। इधर, मिल मालिकों का कहना है कि जूट में नमी के नाम पर एक-एक मिल को सालाना कम से कम दो करोड़ का नुकसा न उठाना पड़ता है। जूट के कारोबारी जूट का वजन बढ़ाने के लिए कई तरह के हथ कण्डे अप नाते हैं।