कोलकाता

उधर महाकुंभ, इधर असर, गंगासागर मेले में बिक्री घटी

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ का असर इस बार गंगासागर मेले पर पड़ा है। मेले में तीर्थयात्रियों की भीड़ कम होने से यहां के दुकानदारों का व्यवसाय चरमरा गया। बिक्री घटने के कारण अधिकतर दुकानदारों के कर्ज में डूबने की आशंका गहरा गई है। अधिकतर दुकानदार का कारोबार और जीवन यापन मेले पर निर्भर है। इस बार मेले में तीर्थयात्रियों की भीड़ कम होने के कारण उनकी दुकानों में बिक्री आधे से भी कम हो गई है

कोलकाताJan 16, 2025 / 04:11 pm

Rabindra Rai

उधर महाकुंभ, इधर असर, गंगासागर मेले में बिक्री घटी

दुकानदारों ने जताई कर्ज में डूबने की आशंका, अधिकतर का कारोबार और जीवन यापन मेले पर निर्भर

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ का असर इस बार गंगासागर मेले पर पड़ा है। मेले में तीर्थयात्रियों की भीड़ कम होने से यहां के दुकानदारों का व्यवसाय चरमरा गया। बिक्री घटने के कारण अधिकतर दुकानदारों के कर्ज में डूबने की आशंका गहरा गई है। अधिकतर दुकानदार का कारोबार और जीवन यापन मेले पर निर्भर है। इस बार मेले में तीर्थयात्रियों की भीड़ कम होने के कारण उनकी दुकानों में बिक्री आधे से भी कम हो गई है। प्रत्येक वर्ष गंगासागर मेले में दुकान लगाने वाले रंजीत दास ने पत्रिका ने बताया कि मैं पछले 25 वर्ष से मेले में दुकान लगा रहा हूं। हर साल की तरह हमने इस बार भी अच्छी-खासी पूंजी लगाकर एक जनवरी से किराने की दुकान लागाई लेकिन, इस बार मेले में तीर्थयात्री ही नहीं आए। नतीजा दुकान की बिक्री आधी से भी कम हो गई है। प्रत्येक वर्ष मैं दो बोरा चिउरा, दो से तीन बोरा गुड़ और चीनी, दो बोरा नकुलदाना और बड़ी मात्रा में चावल-दाल बेचता था। इस उसका आधा भी नहीं बिका और मेले भी समाप्ति पर है। अभी तक एक बोरा भी चिउरा नहीं बिका। अब हमें बचे समान स्थानीय दुकानदारों को औने-पौने दाम में बेचकर चला जाना पड़ेगा। पूंजी भी निकलना मुश्किल हो गया है। पिछले 25 वर्ष में कभी भी ऐसा नहीं हुआ।

चिंता कर्ज चुकाने की

समुद्री शंख और इससे बनने वाले शंखा-पोला सहित महिलाओं के आभूषण, साज-सज्जा, देवी-देवताओं की मूर्ति और पूजा सामग्री की दुकान चलाने वाले राधाकृष्ण गिरि ने बताया कि पिछली बार की तुलना में इस बार मेले में श्रद्धालु नहीं आए। इस कारण इस बार बिक्री भी बहुत कम हुई। पांच लाख रुपए उधार लेकर दुकान को सामान से सजाया लेकिन, अभी तक 20 हजार का भी सामान नहीं बिका। पहले 10 जनवरी से ही मेले में रौनक आ जाती थी और खूब बिक्री होती थी। चिंता इस बात की है कि इतना कर्ज कैसे चुकाऊंगा।

दुकानदार ने कहा, कैसे चलाऊंगा परिवार

मेले में स्थानीय निवासी विष्णु पद्दोपाइक की स्थाई किराने की दुकान है और उसी में वह और उनकी पत्नी होटल भी चलाते हैं। दोनों ने बताया कि इस बार 40 प्रतिशत भी बिक्री नहीं हुई है। होटल में भी कम लोग ही खाने आ आए, जबकि हर साल खाने वाले लोगों की भीड़ लगी रहती थी। सोच रहे हैं कि साल भर परिवार कैसे चलेगा। यह स्थिति सिर्फ राधाकृष्ण गिरि और विष्णु पद्दोपाइक की ही नहीं है, बल्कि मेले में दुकान लगाने वाले अधिकतर दुकानदारों की स्थिति ऐसी ही है। शंख और शंखा-पोला की महिला व्यवसायी बी. तमांग ने बताया कि पहले मैं हर रोज 10 हजार रुपए कमा लेती थी। इस बार मुश्कल से एक हजार हो रहा है। 70 प्रतिशत बिक्री घट गई है। महाकुंभ का असर है।

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