कोलकाता

Environment: उद्धार के लिए गुहार लगा रही आदि गंगा

life-giving ganga की मुख्य धारा आदि गंगा आज अपने उद्धार के लिए गुहार लगा रही है। कंक्रीट का निर्माण, कूड़ा डंपिंग और दोनों तरफ कब्जे करने के कारण आदि गंगा लगभग नाले में तब्दील होती जा रही है

कोलकाताJun 05, 2022 / 12:18 am

Rabindra Rai

Environment: उद्धार के लिए गुहार लगा रही आदि गंगा

कूड़ा डंपिंग और कब्जे के कारण नाले में होती तब्दील
जगह जगह कचरे का ढेर
पर्यावरण दिवस पर विशेष
रवीन्द्र राय
कोलकाता. जीवनदायिनी गंगा की मुख्य धारा आदि गंगा आज अपने उद्धार के लिए गुहार लगा रही है। कंक्रीट का निर्माण, कूड़ा डंपिंग और दोनों तरफ कब्जे करने के कारण आदि गंगा लगभग नाले में तब्दील होती जा रही है। दक्षिण कोलकाता के कालीघाट, गरिया समेत अनेक इलाकों में आदि गंगा में जगह जगह कचरे के ढेर जमा है। पिछले तीन दशक से आदि गंगा का अस्तित्व तेजी से खत्म हो रहा है। पुनरुद्धार पर लगभग 200 करोड़ रुपए खर्च किए जाने के बावूजद स्थिति जस की तस बनी हुई है। सारी कवायद सिर्फ कागजों में नजर आती है। एक तरफ महानगर का भू जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है। दूसरी तरफ मौजूदा जलाशय को शहर निगलता जा रहा है। इसका मामला हाइकोर्ट तथा राष्ट्रीय हरित अधिकरण में लंबित है।

19 माह भी दिशा-निर्देश लागू नहीं
राष्ट्रीय हरित अधिकरण की पूर्वी क्षेत्र शाखा ने आदिगंगा के पुनरुद्धार के लिए दिशा-निर्देश जारी किए। लेकिन 19 महीने बाद भी इनको लागू नहीं किया जा सका। इसके बाद अधिकरण ने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया। समिति में केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, कलकत्ता महानगर विकास प्राधिकरण, कोलकाता नगर निगम के प्रतिनिधि और राज्य पर्यावरण विभाग के एक सेवानिवृत्त अधिकारी शामिल हैं।

हलफनामे पर नजर
अधिकरण ने मामले के सभी पक्षों को छह सप्ताह के भीतर 7 जून तक हलफनामा दाखिल करने को कहा है। समिति को आदिगंगा पर कंक्रीट निर्माण, कूड़ा डंपिंग और दोनों तरफ कब्जा करने के मुद्दे पर गौर करना है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस संबंध में नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगा।

इस योजना की चर्चा
इस बीच आदि गंगा के एक किलोमीटर के हिस्से को कालीघाट पुल से अलीपुर पुल तक कंक्रीट के रास्ते के साथ नाले में बदलने की योजना की चर्चा सामने आई है। हालांकि हिडको के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभी कुछ भी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। कोलकाता नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी कहा कि उन्हें प्रस्तावित योजना के बारे में जानकारी नहीं है।

अस्तित्व मिटाने की कोशिश:पर्यावरणविद
मामले में याचिकाकर्ता सुभाष दत्त ने पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर पत्रिका को बताया कि आदिगंगा को पुनर्जीवित करने के अदालत के किसी भी आदेश का पालन नहीं किया गया। इसलिए आदिगंगा की स्थिति वैसी ही है जैसी पहले थी। इसके तटों पर कब्जा करके तथा ठोस निर्माण करके आदि गंगा का अस्तित्व मिटाने की कोशिश जारी है। कहीं खाटाल बना दिया । मामला अदालत में होने से मुझे उम्मीद है कि एक दिन न केवल आदि गंगा का उद्धार होगा, बल्कि यह पर्यावरण को भी हरा भरा रखेगी।

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