अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से शहीद कारसेवक रामकुमार व शरद कोठारी की बहन पूर्णिमा कोठारी बेहद खुश हैं। कोलकाता के बड़ाबाजार इलाके की रहने वाली पूर्णिमा कोठारी ने कहा, उनके भाइयों का बलिदान सार्थक हो गया। देर से ही सही फैसला अच्छा आया। वह प्रसन्न है। अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पत्रिका से बातचीत में उनका गला भर आया। पूर्णिमा ने कहा, भाइयों के खोने का गम तो हैं, लेकिन आज वो बेहद खुश हैं। २९ साल बाद उनके भाइयों का बलिदान सार्थक हुआ है। वह चाहती है कि अब जल्द से जल्द आयोध्या में रामलला का मंदिर बन जाए।
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30 अक्टूबर 1990 शहीद हुए थे दोनों सगे भाई बजरंग दल के कार्यकर्ता रामकुमार कोठारी और शरद कोठारी 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में की गई पुलिस फायरिंग में शहीद हो गए थे। 21 से 30 अक्टूबर 1990 तक अयोध्या में लाखों की संख्या में कारसेवक जुट चुके थे। सब विवादित स्थल की ओर जाने की तैयारी में थे। विवादित स्थल के चारों तरफ भारी सुरक्षा थी। अयोध्या में कफ्र्यू लगा हुआ था। अशोक सिंघल, उमा भारती, विनय कटियार जैसे नेताओं के कारसेवक विवादित स्थल पर पहुंचे। कारसेवकों ने विवादित ढांचे को तोडऩे की कोशिश की थी। उस दिन पुलिस ने फायरिंग की थी। पुलिस की ओर से की गई फायरिंग में रामकुमार कोठारी और शरद कोठारी समेत ५ कारसेवक शहीद हो गए थे।
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बाबरी मस्जिद पर लहराए थे भगवा झंडा कोठारी भाइयों के दोस्त राजेश अग्रवाल के अनुसार 30 अक्टूबर 1990 को बाबरी मस्जिद के गुंबद पर सबसे पहले शरद कोठारी चढ़ा था। उसके बाद रामकुमार कोठारी चढ़ा। दोनों भाइयों ने बाबरी मस्जिद के गुंबद पर भगवा झंडा लहरा दिया था। बाबरी मस्जिद के गुंबद पर भगवा झंडा लहराने के बाद रामकुमार और शरद कोठारी दोनों भाई विनय कटियार के नेतृत्व में दिगंबर अखाड़े की तरफ से हनुमानगढ़ी की ओर जा रहे थे, तभी पुलिस की गोली के शिकार हो गए थे।
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बाबरी मस्जिद पर लहराए थे भगवा झंडा कोठारी भाइयों के दोस्त राजेश अग्रवाल के अनुसार 30 अक्टूबर 1990 को बाबरी मस्जिद के गुंबद पर सबसे पहले शरद कोठारी चढ़ा था। उसके बाद रामकुमार कोठारी चढ़ा। दोनों भाइयों ने बाबरी मस्जिद के गुंबद पर भगवा झंडा लहरा दिया था। बाबरी मस्जिद के गुंबद पर भगवा झंडा लहराने के बाद रामकुमार और शरद कोठारी दोनों भाई विनय कटियार के नेतृत्व में दिगंबर अखाड़े की तरफ से हनुमानगढ़ी की ओर जा रहे थे, तभी पुलिस की गोली के शिकार हो गए थे।
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सरयू घाट पर हुआ था अंतिम संस्कार
कारसेवक रामकुमार और शरद कोठारी का अंतिम संस्कार 4 नवंबर 1990 को अयोध्या सरयू के घाट पर किया गया था। उनके अंतिम संस्कार में हजारों लोग उमड़े पड़े थे।
कारसेवक रामकुमार और शरद कोठारी का अंतिम संस्कार 4 नवंबर 1990 को अयोध्या सरयू के घाट पर किया गया था। उनके अंतिम संस्कार में हजारों लोग उमड़े पड़े थे।
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बीकानेर के मूल निवासी थे रामकुमार एवं शरद कोठारी मूलत: राजस्थान के बीकानेर जिले के रहने वाले थे। हालांकि उनका परिवार लंबे समय से कोलकाता के बड़ाबाजार इलाके में रहता है। परिवार में अब केवल बहन पूर्णिमा कोठारी ही बची हैं। माता-पिता का भी देहांत हो चुका है।
बीकानेर के मूल निवासी थे रामकुमार एवं शरद कोठारी मूलत: राजस्थान के बीकानेर जिले के रहने वाले थे। हालांकि उनका परिवार लंबे समय से कोलकाता के बड़ाबाजार इलाके में रहता है। परिवार में अब केवल बहन पूर्णिमा कोठारी ही बची हैं। माता-पिता का भी देहांत हो चुका है।