इस्कॉन मायापुर मुख्यालय के प्रवक्ता भक्त सुब्रत दास के मुताबिक विश्व के सभी महाद्वीपों में कुल मिलाकर इस्कॉन के एक हजार केन्द्र हैं। वहीं स्थानीय केन्द्रों की संख्या ६ हजार के आसपास है। ये ऐसे केन्द्र हैं जहां रोजाना कृष्ण भक्ति होती है। पूजा की जाती है। प्रसाद तैयार होता है। विश्व के सभी बड़े इस्कॉन केन्द्रों में गोविंदा रसोई का संचालन किया जाता है। संगठन का मानना है कि कृष्ण का चैतन्य स्वरूप उनके प्रसाद से प्राप्त होता है। प्रसाद के निर्माण में सुचिता व स्थानीयता का ध्यान रखा जाता है।
कृष्ण भक्ति में लीन इस्कॉन की स्थापना भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपादी ने सन् 1966 में अमरीका की न्यू यॉर्क सिटी में की थी। न्यूयॉर्क से प्रारंभ हुई कृष्ण भक्ति की यह वैश्विक धारा आज विश्व के कोने-कोने में बह रही है। मॉस्को हो या ढाका, न्यूयॉर्क हो या डर्बन सभी जगहों पर कृष्ण भक्त हरे कृष्णा हरे कृष्णा का नाम जप रहे हैं। इस समय इस्कॉन समूह के विश्व भर में लगभग 400 से अधिक मंदिरों की स्थापना हो चुकी है।