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बाला सरस्वती सुसाइड केस में बड़ा खुलासा, काम बंद कर धरने पर बैठे जूनियर डॉक्टर, पति ने कहा-मुझे बताती थी हर बात

जूनियर डॉक्टर बाला सरस्वती द्वारा किए गए सुसाइड केस मामले में जूनियर डॉक्टरों ने मोर्चा खोल दिया है, वे बुधवार सुबह से धरने पर बैठ गए हैं, डॉक्टर के पति ने भी सरस्वती के सुसाइड का कारण तीन डॉक्टरों द्वारा प्रताडि़त करना बताया है।

कोलारAug 02, 2023 / 02:52 pm

Subodh Tripathi

बाला सरस्वती सुसाइड केस में बड़ा खुलासा, काम बंद कर धरने पर बैठे जूनियर डॉक्टर, पति ने कहा-मुझे बताती थी हर बात

गांधी मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर बाला सरस्वती द्वारा किए गए सुसाइड केस मामले में जूनियर डॉक्टरों ने मोर्चा खोल दिया है, वे बुधवार सुबह से धरने पर बैठ गए हैं, उन्होंने एचओडी के इस्तीफे की मांग करते हुए हड़ताल शुरू कर दी है, इससे मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं डॉक्टर के पति ने भी सरस्वती के सुसाइड का कारण तीन डॉक्टरों द्वारा प्रताडि़त करना बताया है।

 

राजधानी भोपाल में स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज में रविवार को एक जूनियर डॉक्टर बाला सरस्वती ने एनेस्थीसिया का ओवरडोज लेकर सुसाइड कर लिया था, जूनियर डॉक्टर आंध्रप्रदेश की रहने वाली थीं और उनके पति भी यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे। वे जीएमसी से गायनी में पीजी कर रही थीं। बाला सरस्वती के सुसाइड मामले में बुधवार को जीएमसी की जूनियर डॉक्टर्स ने काम बंद कर हड़ताल शुरू कर दी है, वे गांधी मेडिकल कॉलेज के गेट पर धरना दे रही हैं। इस दौरान उन्होंने गायनी विभाग की एचओडी से इस्तीफा लेने की मांग की है, उनका कहना है कि यहां काम करने के लिए हेल्दी वातावरण नहीं है, काम के प्रेशर में आकर बाला सरस्वती ने सुसाइड किया है, जूनियर डॉक्टर्स ने इमरजेंसी ओपीडी में भी काम नहीं करने का फैसला लिया है, इस कारण हमीदिया अस्पताल में भर्ती मरीजों को भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। जूनियर डॉक्टर्स बाला सरस्वती सुसाइड केस की जांच की मांग कर रहे हैं।

 

36-36 घंटे कराते थे ड्यूटी
जूनियर डॉक्टर के पति जयवर्धन चौधरी ने गांधी मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर्स द्वारा प्रताडि़त करने का आरोप लगाया है, पति ने कहा कि सरस्वती मुझे हर बात बताती थी, वह यहां के डॉक्टर्स से परेशान हो गई थी, उस पर काम का बहुत दबाव बनाया जाता था। उनका कहना है कि तीन डॉक्टर मेरी पत्नी को परेशान करते थे, उसे काम करने के बाद भी कामचोर बोलते थे, उससे 36-36 घंटे की ड्यूटी कराई जाती थी, ऐसे में परेशान होकर उसने यह कदम उठाया है, उसकी थीसिस भी स्वीकार नहीं की जाती थी, उसे हर बात के लिए परेशान किया जाता था, उसने मेडिकल लीव ली थी, उसे भी अप्रूव नहीं किया गया था, उनकी पत्नी को अन्य डॉक्टर्स के सामने कामचोर बोलकर शर्मिंदा किया जाता था।

 

जूनियर डॉक्टर द्वारा एक सुसाइड नोट भी अपनी फ्रेंड को शेयर किया गया था, जिसमें लिखा था मां-पापा मुझे माफ कर देना, आपने मेरे लिए बहुत कुछ किया, जय मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत गिफ्ट है, मैंने उसके साथ सुखी जीवन बीताने का सपना देखा था, लेकिन मेरे सर्वाइव करने के लिए यह कॉलेज बुरा है, यहां मेरी थीसिस कभी पूरी नहीं होगी। क्योंकि ये लोग मुझे कभी राहत नहीं देंगे। भले ही मैं अपनी आत्मा, खून, सबकुछ दे दूं।

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