आपको बता दें कि, मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के प्रेमनगर में दो परिवार ऐसे हैं, जहां एक दंपति के यहां लड़का नहीं है तो वहीं, दूसरे दंपति के यहां कोई संतान नहीं है। इसी वजह से दोनों परिवारों ने बछड़े और बछिया को अपना पुत्र और पुत्री मानकर उनका विवाह किया है। खास बात ये रही कि, इस शादी समारोह में भले ही दूल्हा – दुल्हन इंसान न हों, फिर भी परिवारों के धर्म के अनुसार हिंदू शादी के सभी रीति – रिवाजों का पालन किया गया। सिर्फ रीति – रिवाज ही नहीं निभाए गए, बल्कि परिवारों ने इस विवाह समारोह में करीब 4 लाख रुपए खर्च भी किए है। इस अनोखी शादी समारोह के भोज में पूरे गांव को आमंत्रित किया गया था। कास बात ये है इस अनोखी शादी को लेकर पूरा गांव उत्साह में था और समारोह में गांव के करीब 800 मेहमान भी शामिल हुए थे।
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दो माह पहले हुई थी सगाई, अब मुहूर्त के हिसाब से किया गया विवाह
बछिया को अपनी बेटी मानने वाले मुकेश दिवाले का कहना है कि, सनातनी संस्कृति के अनुसार गाय को माता का दर्जा दिया गया है। वैसे भी हम गोपालक परिवार से हैं। वहीं, उनकी कोई संतान भी नहीं है, इसलिए हमने बछिया को अपनी बेटी की तरह ही पाला है। परिवार ने उसका नाम लक्ष्मी रखा है। कन्यादान, गोदान को सबसे बड़ा दान माना जाता है, उसी का अनुसरण करते हुए लक्ष्मी का विवाह गांव के ज्योति लिमये के बछड़े से किया है। ज्योति बाई भी अपने बछड़े को बेटे की तरह प्रेम करती हैं। उन्होंने उसका नाम ‘नारायण’ रखा है। उन्होंने बताया की नारायण और लक्ष्मी का विवाह अब हुआ है, लेकिन दो माह पहले उनकी सगाई भी की गई थी। अब मुहुर्त के आधार पर उनका विवाह किया गया है।