चुनाव में पार्टी की ओर से टिकट वितरण अब सिंधिया और कमलनाथ की इच्छा पर निर्भर करेगा। इसलिए पार्टी में अब नए समीकरण बनना शुरु हो गए हैं। खरगोन में रवि जोशी गुट के कमलनाथ और सिंधिया के नजदीक संबंध है। इसलिए यह माना जा रहा है कि चुनाव में जोशी को ही खरगोन से टिकट मिल सकता है। राजनीतिक चर्चाओं के अनुसार अभी तक जोशी की राह में अरुण यादव सबसे बड़ा रोडा बने हुए थे।
प्रदेश अध्यक्ष का पद हाथ से जाने के बाद अरुण यादव और उनके भाई सचिन यादव के राजनीति कॅरियर को लेकर भी चर्चाएं होने लगी है। किसी समय कांगे्रस के गढ़ माने जाने वाले खरगोन जिले में कांग्रेस को इस निर्णय से कितना फायदा होगा, यह तो वक्त ही बताएगा। कसरावद विधानसभा में फिलहाल सचिन यादव विधायक है। आगामी चुनाव में उन्हें दोहराया जाएगा या अरुण यादव खुद मैदान में उतरेंगे। इस पर चर्चाएं तेज है।
यादव के हटते ही राजनीतिक गलियारे में कार्यकर्ता एक-दूसरे को बेहतर बताने में जुट गए हैं। सोशल मीडिया पर भी विरोध गुट सक्रिय हो गया है। फेसबुक पर खरगोन कांग्रेस….तेरा जादू चल गया वो जादूगर लिखकर पोस्ट खूब शेयर की जा रही है। इसमें किसी का नाम नहीं लिखते हुए सीधे-सीधे यादव के धुर विरोध गुट को लाभ मिलने की बात कही जा रही है।
पत्रिका से चर्चा में अरुण यादव ने पार्टी हाईकमान और राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के निर्णय पर सहमति देते हुए आभार माना है। यादव ने कहा कि कमलनाथ हमारे वरिष्ठ नेता है, उनके आने से कांग्रेस मजबूत होगी। उनके नेतृत्व में हम सब संघर्ष करेंगे, सरकार बनाएंगे। निमाड़ में भी बेहतर काम कर पार्टी को जीत दिलाएंगे। उल्लेखनीय है कि अरुण यादव का पीसीसी चीफ का कार्यकाल लगभग साढ़े ४ साल का रहा है।