30 जनवरी से दुनिया के सभी देशों में गायत्री महामंत्र की जप साधना अनुष्ठान की श्रंखला प्रारंभ हो रही है। चालीस दिवसीय साधना 10 मार्च तक चलेगी। इसके माध्यम से युग परिवर्तन के चक्रको गति प्रदान करने, संक्रमण काल में युग शिल्पियों को तप के माध्यम से तपाने, आतंकवादी, असुरी शक्तियों के निरस्तीकरण, नव सृजन की गतिविधियों को शक्ति तथा संवर्धन प्रदान करने का काम किया जा रहा है।
तहसील संयोजक डॉ. सोहन गुर्जर, प्रबंध ट्रस्टी जगदीश शाह तथा महेन्द्रसिंह पंवार ने बताया कि राष्ट्र के समस्त जिलों के साथ सक्रिय 108 जिलों में 240 से अधिक गायत्री साधकों के द्वारा न्यूनतम आहार ग्रहण किया जाएगा। शक्कर अथवा नमक का त्याग किया जाएगा। न्यूनतम 33 माला प्रतिदिन जप कर 40 दिन में 1 लाख 25 हजार गायत्री महामंत्र की माला जपी जाएगी।
साधना अनुष्ठानकाल में साधकों को ब्रम्हचर्य का पालन करना होगा। सनावद क्षेत्र में रामेश्वर बिर्ला, भगवानदास बिर्ला, अनिल पाटील, बड़ूद क्षेत्र में पन्नालाल चौहान, पं. रविन्द्र दुबे, पिपराड़ क्षेत्र में उम्मेदसिंह सोलंकी, हीरापुर क्षेत्र में लच्छीराम चौधरी, अनिल पाटील, बेडिय़ा क्षेत्र में भैयालाल पटेल बासवा तथा दौड़वा क्षेत्र में अनोखीलाल पटेल तथा भोगावां क्षेत्र में डॉ. सोहन गुर्जर को इसके लिए प्रभार सौंपा गया है।
24 हजार से अधिक साधक रखेंगे मौन व्रत
सात्विक भोजन, ब्रह्मचर्य व्रत के साथ इस अनुष्ठान की एक और विशेषता है। इसके अंतर्गत साधक को मौन व्रत भी लेना होगा। साधक को प्रतिदिन न्यूनतम दो घंटे मौन रहना होगा। अपने सारे काम अपने हाथ करना होगा। विश्व स्तर पर साधकों की संख्या 24 हजार से अधिक होगी जोकि ये व्रत निभाएंगे।