बचपन से पढ़ाई के प्रति थी रूचि
माहोरी गांव के रहने वाले आशाराम का पढ़ाई के प्रति बचपन से बेहद जुड़ाव था। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने सरकारी स्कूल से हासिल की और पांचवी क्लास से जवाहर नवोदय विद्यालय खंडवा में एडमीशन लिया। जवाहर नवोदय विद्यालय से 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से सेंट्रल यूनिवर्सिटी कर्नाटक से भूगर्भ शाखा में ग्रेजुएशन किया। यह भी पढ़ें
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बेहद गरीब है आशाराम का परिवार
आशाराम पालवी का जीवन संघर्षों से भरा है। उनका परिवार बेहद गरीब है और बूढ़े-माता एक झोपड़ी में रहते हैं। उनके पास करीब एक हेक्टेयर ही भूमि है जिस पर मेहनत कर और मजदूरी कर किसी तरह माता-पिता ने जितना हो सका बेटे को पढ़ाया। लेकिन जब विदेश में जाकर पढ़ाई करने की बात आशाराम ने माता-पिता से कही तो पैसे न होने की बात कहकर उन्होंने इंकार कर दिया था। यह भी पढ़ें