मध्यप्रदेश के जिले खंडवा में दिलीप कुमार, उनके भाई नासिर हुसैन, वैजयंतीमाला, कन्हैयालाल सहित कई कलाकारों ने मिलकर 1958 में फिल्म गंगा जमुना की शूटिंग मीटर गेज ट्रेन पर हुई थी।
खंडवा@पत्रिका. फिल्म के कलाकारों सहित यूनिट ने मुख्त्यारा-बलवाड़ा गांव (वर्तमान बलवाड़ा) आए थे। यहां स्टेशन पर दिलीप कुमार द्वारा भाई नासिर हुसैन को ट्रेन में छोड़ने आने, ट्रैक पर ट्रेन लूटने के साथ ही कई महत्वपूर्ण दृश्य फिल्माए गए थे। खंडवा के चश्मा कारोबारी शर्मा परिवार ने इन यादों को संजो रखा है। 31 दिसंबर से अब यह ट्रेन बंद हो जाएगी और इससे जुड़ी सभी कहानियां अब इतिहास में याद की जाएंगीं।
एसके शर्मा ने बताया 1958 में पिता आनंदीलाल शर्मा सनावद में स्टेशन मास्टर थे। किसी ने दिलीप कुमार को बताया था कि मालवा के जंगल शूटिंग के लिए बेहतरीन लोकेशन है। संयोग से दिलीप कुमार और उनके भाई नासिर हुसैन का सड़क मार्ग से यहां से गुजरना हुआ। बलवाड़ा के पास मनोरम स्थान देखकर वे रूक गए। रेलवे स्टेशन पहुंचे। उन्हें यह स्थान फिल्म की शूटिंग के मुफीद लगा। इसके बाद 20 घोड़े और पूरी यूनिट के साथ वे बलवाड़ा पहुंचे।
दिलीप कुमार आनंदीलाल शर्मा के क्वार्टर और पूरी यूनिट रेलवे स्टेशन के पास टेंट लगाकर रही। शूटिंग के लिए रेलवे से अनुमति लेकर पूरी ट्रेन अलाट की गई। यहां एक महीने तक शूटिंग चली। एसके शर्मा ने बताया यहां ‘इंसाफ की डगर पर बच्चों दिखाओ चल के…’‘ढूंढो-ढूंढो रे साजना ढूंढो, मेरे कान का बाला….’ गाने फिल्माए गए। स्टेशन के पास टेकड़ी पर गांव बसाया गया। स्टेशन पर दिलीप कुमार द्वारा पढ़ने जा रहे भाई को छोड़ने आने और डाकू बनने के बाद ट्रेन लूटने के दृश्य भी यहां फिल्माए गए।
मुखत्यारा-बलवाड़ा में फिल्माए थे अहम दृश्य
शूटिंग के बाद यूनिट मुंबई लौटी। फिल्म का प्रिंट धुलने लंदन भेजा, लेकिन लाइट लगने से प्रिंट खराब हो गया। इसके बाद 1959 में दिलीप कुमार सहित पूरी यूनिट दोबारा मुख्त्यारा-बलवाड़ा पहुंची और एक महीने रूककर शूटिंग की।
आनंदीलाल शर्मा का बिना कत्थे का चूने वाला पान दिलीप कुमार को काफी पसंद आया। मुंबई जाने के बाद भी उन्होंने ऐसा ही पान खाना जारी रखा। कैमरे से खींचा फोटो उन्होंने मुंबई से शर्मा को भेजा। ये फोटो लंबे समय तक शर्मा परिवार की धरोहर रहा, लेकिन किसी कारण कहीं खो गया। 58 साल पुराने फोटो सिराजुद्दीन परफेक्ट ने उपलब्ध कराए।
एसे करते थे कंट्रोल
पूवज़् स्टेशन मैनेजर एनके दवे बताते हंै कि नील्स बॉल टोकन ब्लॉक स्टूमेंट से गाड़ी आने पर टोकन निकालना अब यादों में ही ताजा रहेगा। स्टेशन पर गाड़ी आते ही ड्राइवर से बॉल (टोकन) लेकर स्टूमेंट में लगाना और अगले स्टेशन मैनेजर से बात करके गाड़ी आगे बढ़ाने की अनुमति ली जाती थी। दोनों स्टेशन मैनेजर की सुलह के बाद ही बॉल ड्राइवर को देकर गाड़ी अगले स्टेशन के लिए रवाना की जाती थी। दवे वषज़् 1980 से खंडवा में कायज़्रत रहकर सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने कहा खंडवा-हिंगोली लाइन शुरू होने के समय लालबहादुर शास्त्री रेल मंत्री थे। रेलवे ने उन्हें सवज़्श्रेष्ठ कायज़् करने पर एक एजीएम, पांच डीआरएम और दो सीओएम अवॉडज़् से सम्मानित किया है। दवे अपनी कुशल कायज़्शैली के चलते हैदराबाद जोन में किंग ऑफ मीटरगेज के नाम से पहचाने जाते थे। उन्होंने कहा मीटरगेज लाइन में 34 साल नौकरी करने के बाद उसे भूल पाना मुश्किल हो गया है। सेवानिवृत्त होने के बाद भी वह रोजाना स्टेशन पहुंचकर ट्रेनों की स्थिति जानना और अन्य कायोज़्ं में भी हाथ बंटाते रहे हैं।
रेलमागज़् से जुड़ेगे ये स्थान
इस लाइन से महू का मिलेट्री एरिया, पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र, बड़वाह सीआईएसएफ, ओंकारेश्वर ज्योतिज़्लिंग एवं गणगौर ताप परियोजना जिला खरगोन आदि स्थान को जोड़ा जा सकेगा। रेल मागज़् की सुविधा के अभाव में राजस्थान के विभिन्न शहर जयपुर, उदयपुर, भीलवाड़ा, चुरू, बांसवाड़ा, कोटा आदि स्थानों से खंडवा एवं ओंकारेश्वर आने वाले दशज़्नाथिज़्यों को बस का सहारा लेना पड़ रहा है। ब्रॉडगेज होने से उक्त स्थानों के यात्रियों को रेल सुविधा मिल सकेगी।और इन नौ गांवों का कट जाएगा संपकज़्
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