श्री दादाजी धाम… संगमरमर से 84 खंबों के मंदिर बनाने की उठी मांग
श्री दादाजी धाम…-शहरभर में लगे मंदिर बनाने के बैनर-पोस्टर-ट्रस्ट ने दो साल पहले शुरू किया था पत्थर के मंदिर निर्माण का कार्य, स्टे में अटका


खंडवा. श्री दादाजी धाम में 84 खंबों के मंदिर निर्माण की मांग को लेकर शहर में लगे बैनर।
खंडवा.
श्री दादाजी धाम में गुरु पूर्णिमा पर्व संपन्न होने के बाद अब भक्तों ने संगमरमर से 84 खंबों के मंदिर बनाने की मांग शुरू कर दी है। शहरभर के प्रमुख चौराहों पर इसके पोस्टर, बैनर भी लगाए गए है। इसमें मंदिर बनाने के साथ ही ट्रस्टियों को सद्बुद्धि देने की प्रार्थना भी दादाजी महाराज से की गई है। भक्त श्री दादाजी धाम को देश में दादाजी का पंचम धाम बनाना चाहते है। साथ ही इसके शिर्डी, शैगांव की तर्ज पर विकास करने की मांग की जा रही है।
करीब 20 साल पहले श्री दादाजी धाम में नागर शैली के 84 खंबों से संगमरमर का मंदिर बनाने की मांग शुरू हुई थी। दादाजी भक्तों द्वारा नक्काशी किया 80 ट्रक मॉर्बल भी खंडवा भेजा गया था। यहां मंदिर ट्रस्ट ने पहले संगमरमर का मंदिर बनाने की मांग को ही ठुकरा दिया था। इसके बाद लगातार इस मसले पर ट्रस्ट और दादाजी भक्त आमने-सामने होते रहे है। कुछ वर्षों में दादाजी भक्त छोटे सरकार और ट्रस्ट के बीच सहमति भी बनी, लेकिन बात संगमरमर के मंदिर पर आकर रुक गई। करीब तीन साल पहले ट्रस्ट ने लाल पत्थर से 108 खंबों के मंदिर बनाने की बात कही थी। दो साल पहले इसका काम भी शुरू हुआ, लेकिन यहां आरसीसी की प्लींथ डालने के दौरान फिर मतभेद की स्थिति बन गई। जिसके बाद प्रशासन ने मंदिर निर्माण पर स्टे लगा दिया।
ढाई दशक से चल रहा प्रयास
श्री दादाजी धूनीवाले ने 1930 में समाधि ली एवं 1942 में छोटे दादाजी का महानिर्वाण हुआ। करीब 34 एकड़ में दादाजी धूनीवाला दरबार ट्रस्ट की ओर से संचालित है। पिछले करीब ढाई दशक से छोटे सरकार उर्फ रामेश्वरदयाल महाराज यहां सफेद संगमरमर का 84 खंभों का मंदिर बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। कई बार बैठकों का दौर, समिति के गठन, नक्शों का निर्माण का प्रस्ताव ट्रस्ट और मंदिर निर्माण समर्थकों के बीच चला लेकिन कोई हल नहीं निकला।
गुरु पूर्णिमा के पूर्व हुई थी चर्चा
श्री दादाजी धाम में गुरु पूर्णिमा पर्व के पूर्व छोटे सरकार खंडवा पहुंचे थे। इस दौरान दादाजी धाम में दर्शन के बाद वे भक्तों के साथ ट्रस्ट भी पहुंचे थे। इस दौरान मंदिर निर्माण को लेकर ट्रस्टियों से चर्चा भी हुई थी, जिसमें कुछ भक्तों ने ट्रस्ट के रवैये पर सवाल उठाए थे। तब ट्रस्टियों का कहना था कि पहले गुरु पूर्णिमा पर्व मना लेने दिजिए, इसके बाद चर्चा की जाएगी। हालांकि मंदिर निर्माण को लेकर चर्चा की पहल दोनों ही ओर से नहीं हुई है।
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