वर्ष 1930 में तीन दिन खंडवा प्रवास के बाद अगहन सूदी तेरस के दिन बड़े दादाजी महाराज ने खंडवा में समाधि ली थी। तब से छोटे दादाजी महाराज द्वारा बरसी महोत्सव का आयोजन शुरू किया गया था। शुक्रवार सुबह 3.30 बजे गंजाजल, नर्मदा जल से समाधि स्नान के साथ हुई। इसके बाद आरती, भोग, प्रात:काल की बड़ी आरती और सेवा हुई। दोपहर 3.30 बजे से दादाजी की सेवा मालिश, अभिषेक के बाद चादर बदली गई। इसके बाद शाम को छोटी आरती और दादाजी नाम कीर्तन हुआ। रात 8.30 बजे पर्व की महाआरती 108 दीपों से हुई, जो रात 9.30 बजे तक चली। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु आरती में मौजूद रहे।
सुबह भक्त निवास, रात को मंदिर परिसर में भंडारा
श्री दादाजी बरसी महोत्सव पर सुबह से दोपहर तक भक्त निवास में भंडारा प्रसादी हुई। वहीं, पटेल सेवा समिति में रोट-चटनी प्रसादी भक्तों ने ग्रहण की। रात को बड़ी आरती के पश्चात दिव्य भोग और भंडारा हुआ, जिसमें सात हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने प्रसादी पाई। भंडारे में 110 किलो बेसन की नुक्ति, 2 क्विंटल शकर, 7 क्विंटल आटा, 50 किलो आटे का हलवा, 6 कट्टे आलू की सब्जी बनाई गई। रात्रि में सेवा और हवन के साथ बरसी महोत्सव का समापन हुआ। पर्व पर महाराष्ट्र, नागपुर, छिंदवाड़ा, बैतुल, पांडुर्ना, दिल्ली सहित देश व प्रदेश से श्रद्धालुओं ने दरबार पहुंचकर दर्शन लाभ लिया।
श्री दादाजी बरसी महोत्सव पर सुबह से दोपहर तक भक्त निवास में भंडारा प्रसादी हुई। वहीं, पटेल सेवा समिति में रोट-चटनी प्रसादी भक्तों ने ग्रहण की। रात को बड़ी आरती के पश्चात दिव्य भोग और भंडारा हुआ, जिसमें सात हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने प्रसादी पाई। भंडारे में 110 किलो बेसन की नुक्ति, 2 क्विंटल शकर, 7 क्विंटल आटा, 50 किलो आटे का हलवा, 6 कट्टे आलू की सब्जी बनाई गई। रात्रि में सेवा और हवन के साथ बरसी महोत्सव का समापन हुआ। पर्व पर महाराष्ट्र, नागपुर, छिंदवाड़ा, बैतुल, पांडुर्ना, दिल्ली सहित देश व प्रदेश से श्रद्धालुओं ने दरबार पहुंचकर दर्शन लाभ लिया।