यहां आलम ये है कि, खेत से तुड़वाकर मंडी तक लाने के लिए गाड़ी भाड़ा भी किसानों को अपनी जेब से चुकाना पड़ रहा है। कई जगह तो इस समस्या को देखते हुए किसानों ने खेतों से ही प्याज को फ्री लोगों में बांटनी शुरु कर दी तो कहीं, किसानों ने खड़ी की खड़ी फसल जानवरों के खाने के लिए छोड़ दी है। ऐसी समस्या दोबारा उत्पन्न न हो, इसके लिए किसानों ने सरकार से मांग की है कि, सरकार प्याज पर समर्थन मूल्य तय करे।
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किसान परेशान
खासतौर पर खंडवा में प्याज की खेती करने वाले किसान इन दिनों खासा परेशान हैं। किसानों को फसल की लागत तो दूर, मंडी ले जाने तक का किराया अपनी जेब से जुटाकर देना पड़ रहा है। कई जगहों पर प्याज नालों में फेंकी जा रही है या फिर उसे जानवरों के लिए छोड़ा जा रहा है। कहीं किसान तो मंडी में प्याज लेकर आ रहे हैं, लेकिन भाव सुनकर शहर की सड़कों पर लोगों के लिए छोड़ जा रहे हैं।
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व्यापारी भी परेशान
ठीक यही हाल जिले के व्यापारियों का भी है। खंडवा मंडी में प्याज का व्यापार करने वाले व्यापारी यहां की प्याज को देश के अन्य प्रदेशों में भी बेचते हैं। लेकिन वहां भी भाव न मिलने के कारण व्यापारियों के माथे पर चिंता की लकीरें छाई हुई हैं। व्यापारियों के अनुसार, बेमौसम बारिश से प्याज की फसलें खराब हो गई हैं उच्च क्वालिटी का प्याज अब मंडी में नहीं बचा है, इसलिए मंडी में फिलहाल जो भाव मिल रहा है, वो एक रुपए से भी कम है।
लागत का दस फीसदी भी नहीं मिल रहा दाम
दाल, चावल और गेहूं की फसल करने वाले किसान पहले ही बेमौसम बारिश के कारण परेशान हो चुके हैं और अब प्याज की फसल करने वाले किसान भी उचित दाम न मिलने से रोने को मजबूर हैं। किसानों का कहना है कि, मौजूदा समय में की गई खेती के दौरान प्याज पर 8 रुपए प्रति किलो की दर से लागत लगी है। प्याज की फसल पर प्रति एकड़ 60 से 80 हजार रुपए तक का खर्च आया है। लेकिन, मौजूदा समय में जो दाम मिले हैं, प्रति किलों पर आई लागत का 10 फीसदी भी नहीं निकल पा रहा है। अब भारतीय किसान संघ की ओर से सरकार से प्याज पर समर्थन मूल्य तय करने की मांग की है, साथ ही मौजूदा समय में हुए नुकसान पर राहत राशि भी देने की मांग की है।
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सरकार से मांग
भारतीय किसान संघ के नेताओं का कहना है कि, सरकार को प्याज के दाम पर समर्थन मूल्य तय करना चाहिए। क्योंकि, कभी तो यही प्याज 40 रुपए प्रति किलो की दर से बिकती है। हालांकि, उस समय भी इसका मुनाफा किसान के बजाय व्यापारी को जाता है। वहीं, दूसरी ओर कभी यही प्याज 1 रुपए किलो का भाव भी नहीं दे पाती। आज के हालातों की बात करें तो किसान प्याज लेकर मंडी तक नहीं पहुंच पा रहा है। किसान को अपनी मेहनत से उगाई प्याज को जानवरों के खाने के लिए छोड़ना पड़ रहा है या खेतों में ही सड़ने देने के लिए छोड़ना पड़ रहा है। किसानों को ऐसी समस्या से निजात दिलाने के लिए सरकार को उचित कदम उठाना होगा।