इस भव्य और दिव्य ‘एकात्म धाम’ के अंतर्गत आचार्य शंकर की 108 फीट ऊंची ‘एकात्मता की प्रतिमा’, ‘अद्वैत लोक’ नाम का एक संग्रहालय तथा आचार्य शंकर अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान की स्थापना की जा रही है। इस प्रकल्प के प्रथम ऐतिहासिक चरण के रूप में 18 सितंबर को एकात्मता की प्रतिमा का अनावरण होने वाला है। ये 108 फीट ऊंची बहुधातु की प्रतिमा है, जिसमें आदि शंकराचार्य जी बाल स्वरूप में दिखाई देंगे।
ओंकारेश्वर आचार्य शंकर की ज्ञान भूमि और गुरु भूमि है। यहीं उनको अपने गुरु गोविंद भगवत्पाद मिले और यहीं 4 साल रहकर उन्होंने विध्या अध्ययन किया। 12 साल की उम्र में ओंकारेश्वर से ही अखंड भारत में वेदांत के लोकव्यापीकरण के लिए प्रस्थान किया। इसलिए ओम्कारेश्वर के मान्धाता पर्वत पर 12 साल के आचार्य शंकर की प्रतिमा की स्थापना की जा रही है।
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मूर्ति निर्माण में घर घर से जुटाए गए थे धातु
इस प्रतिमा का निर्माण एलएनटी कंपनी द्वारा किया जा रहा है। ये मूर्ति सोलापुर महाराष्ट्र के प्रसिद्ध मूर्तिकार भगवान रामपुरा द्वारा उकेरी गई है। मूर्ति के लिए बाल शंकर का चित्र मुंबई के विख्यात चित्रकार वासुदेव कामत ने साल 2018 में बनाया गया था। मूर्ति निर्माण के लिए साल 2017-18 में पूरे मध्यप्रदेश में एकात्म यात्रा निकाली गई थी, जिसके जरिए 27 हजार ग्राम पंचायतों से मूर्ति निर्माण के लिए धातु संग्रहण करने के साथ साथ जनजागरण अभियान चलाया गया था।
प्रमुख आकर्षण होंगी ये चीजें
शंकर संग्रहालय के अंतर्गत आचार्य शंकर के जीवन दर्शन और सनातन धर्म पर विभिन्न वीथिकाएं, दीर्घाएं, लेजर लाइट वॉटर साउंड शो, आचार्य शंकर के जीवन पर फिल्म, सृष्टि नाम का अद्वैत व्याख्या केंद्र, एक अद्वैत नर्मदा विहार, अन्नक्षेत्र, शंकर कलाग्राम आदि प्रमुख आकर्षण रहेंगे। आचार्य शंकर अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत वेदान्त संस्थान के अंतर्गत दर्शन, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और कला पर केंद्रित चार शोध केंद्रों के अलावा ग्रंथालय, विस्तार केंद्र के साथ साथ एक पारंपरिक गुरुकुल भी होगा।
पर्यावरण अनुकूल होगा प्रकल्प
पूरा निरमाण कार्य पारंपरिक भारतीय मंदिर स्थापत्य शैली में ही किया जा रहा है। ये प्रकल्प पर्यावरण अनुकूल होगा। अद्वैत लोक के साथ ही 36 हेक्टेयर में अद्वैत वन नाम का एक सघन वन विकसित किया जा रहा है।