भाजपा में मांधाता और पंधाना विधानसभा में बागियों ने मोर्चा खोल रखा है। गुरुवार दोपहर 3 बजे तक नाम निर्देशन फार्म उठाने का अंतिम दिन है। इसके पहले पार्टी पूरी तरह से बगावत रोकने पर उतर आई है। बुधवार को सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल, जिला महामंत्री अरुण ङ्क्षसह मुन्ना सहित विधायक व प्रत्याशी नारायण पटेल रूठों को मनाने निकले। बंजारा समाज के चेतराम नायक सहित बंजारा समाज के लोगों से सीएम शिवराज ने फोन पर चर्चा की और भरोसा दिलाया कि पार्टी उनके साथ है। इसके बाद दोपहर में नायक ने रिटर्निंग अधिकारी कार्यालय पहुंचकर फार्म वापस लिया। यहां गुर्जर और ठाकुर मतदाताओं के बाद बंजारा समाज तीसरे सबसे बड़े मतदाता है। नायक भाजपा से लंबे समय से जुड़े थे, उनके मैदान में रहने से सीधे भाजपा को नुकसान होता। इसके चलते नेताओं ने नायक को मनाने में पूरा जोर लगाया।
छाया के मुकाबले छाया, जिलाध्यक्ष ने मनाया
पंधाना विधानसभा में भाजपा से तीन बागी मैदान में है। इसमें छाया फकीरा मोरे वर्तमान में पंधाना जपं सदस्य व भाजपा बोरगांव महिला मंडल अध्यक्ष है। ममता मोरे भाजपा पंधाना महिला मंडल अध्यक्ष है। वहीं, ङ्क्षचताराम जगताप भील समाज के पदाधिकारी व भाजपा कार्यकर्ता है। यहां भाजपा जिलाध्यक्ष सेवादास पटेल, चुनाव प्रभारी पूर्व जिपं अध्यक्ष राजपाल ङ्क्षसह तोमर व विधायक राम दांगोरे ने छाया फकीरा मोरे से चर्चा की। छाया के नाम वापस ले सकती है।
संतोष राठौर ने दिया गोलमोल जवाब
भाजपा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक संतोष राठौर भी मांधाता से बागी के रूप में मैदान में है। सांसद सहित अन्य पदाधिकारी उनसे मिलने पहुंचे। राठौर ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया है। अब देखना यह है कि अंतिम समय तक वह अपना नामांकन उठाते हैें या नहीं। भाजपा के तीसरे बागी शिवेंद्रङ्क्षसह तोमर जो राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त नरेंद्रङ्क्षसह तोमर के बेटे है, उनसे सांसद व टीम की मुलाकात नहीं हो पाई।
खंडवा में दोनों को भीतरघात का खतरा
खंडवा में भाजपा और कांग्रेस से कोई भी बागी मैदान में नहीं है। यहां विधायक देवेंद्र वर्मा जरूर पार्टी से नाराज है और बैठकों व प्रचार से दूरी बनाए हुए है। विधायक को मनाने के प्रयास जारी है। इधर, कांग्रेस में भी रूठे कार्यकर्ता मान चुके है और प्रचार में नजर भी आने लगे है। दोनों ही दलों में नाराजगी खत्म होते दिख रही है, लेकिन भीतरघात की आशंका भी प्रत्याशियों को लगी हुई है। नाराज कार्यकर्ताओं को कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी नहीं सौंपी गई है। इससे आशंका है कि अंतिम समय में ये नाराज नेता करामात कर सकते हैं।
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