अब पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव का ट्वीट सामने आया है। उन्होंने इसमें अपनी व्यथा बयां करते हुए लिखा है कि पार्टी में जो हालात हो गए हैं, अगर उनका अंदाजा मुझे पहले ही लग जाता तो मैं जान हथेली पर नहीं रखता। उन्होंने लिखा है कि मैं व्यथित हूं। उधर, मंत्री उमंग सिंघार भी लगातार दिग्विजयसिंह पर शब्दों का हमला बोल रहे हैं। उन्होंने दिग्विजयसिंह को ब्लैक मेलर तक बता दिया है। सिंधिया समर्थक भी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। होर्डिंग्सवार भी चल रहा है। कमलनाथ सरकार अब इस सियासी भूचाल से बाहर निकलने के लिए प्रयासरत हैं। पार्टी मेंं अंदरूनी गुटबाजी का लगातार सामने आना और बड़े नेताओं का इस तरह से बयानबाजी करना बड़ी मुश्किलें खड़ी कर चुका है। सिंधिया के तो भाजपा में शामिल होने तक की चर्चाएं इन दिनों सुर्खियां बनी हुई हैं, जबकि सोशल मीडिया पर भी इस संबंध में बहुत कुछ चल रहा है।
अब तक ये नाम आए हैं सामने
मप्र कांग्रेस अध्यक्ष के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजयसिंह, अजय सिंह, शोभा ओझा, बाला बच्चन, मीनाक्षी नटराजन, मुकेश नायक, सज्जन सिंह वर्मा सहित अन्य के नाम अब तक सामने आए हैं। हालांकि एक सर्वे में लोगों ने सिंधिया को पहली पसंद के रूप में आगे रखा है।
मप्र कांग्रेस अध्यक्ष के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजयसिंह, अजय सिंह, शोभा ओझा, बाला बच्चन, मीनाक्षी नटराजन, मुकेश नायक, सज्जन सिंह वर्मा सहित अन्य के नाम अब तक सामने आए हैं। हालांकि एक सर्वे में लोगों ने सिंधिया को पहली पसंद के रूप में आगे रखा है।
अरुण यादव के ट्वीट का ये है मजमून
मप्र में 15 सालों तक ईमानदार पार्टीजनों के साथ किए गए संघर्ष के बाद 8 महीनों में जो स्थितियां सामने आ रही हैं, उसे देखते हुए बहुत व्यथित हूं, यदि इतनी जल्दी इन दिनों का आभास पहले ही हो जाता तो शायद जान हथेली पर रखकर जहरीली और भ्रष्ट विचारधारा के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ता, बहुत आहत हूं।
मप्र में 15 सालों तक ईमानदार पार्टीजनों के साथ किए गए संघर्ष के बाद 8 महीनों में जो स्थितियां सामने आ रही हैं, उसे देखते हुए बहुत व्यथित हूं, यदि इतनी जल्दी इन दिनों का आभास पहले ही हो जाता तो शायद जान हथेली पर रखकर जहरीली और भ्रष्ट विचारधारा के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ता, बहुत आहत हूं।
चुनाव से पहले हटाया था पद से
गौरतलब है कि मप्र में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अरुण यादव को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाया गया था। तब भी उनका दर्द सामने आया था। उनके समर्थकों ने भी यहां तक कहा कि पूरे 5 साल तक संघर्ष किया, पार्टी के लिए मेहनत की। सभी को एक जाजम पर लाए और ऐनवक्त पर यूं पद से हटाना गलत है। अरुण यादव ने शिवराजसिंह चौहान के खिलाफ बुधनी से चुनाव लड़ा था, हालांकि उन्हें हार मिली थी। इसके बाद लोकसभा चुनाव में भी खंडवा संसदीय सीट से नंदकुमारसिंह चौहान के सामने हार गए थे।
गौरतलब है कि मप्र में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अरुण यादव को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाया गया था। तब भी उनका दर्द सामने आया था। उनके समर्थकों ने भी यहां तक कहा कि पूरे 5 साल तक संघर्ष किया, पार्टी के लिए मेहनत की। सभी को एक जाजम पर लाए और ऐनवक्त पर यूं पद से हटाना गलत है। अरुण यादव ने शिवराजसिंह चौहान के खिलाफ बुधनी से चुनाव लड़ा था, हालांकि उन्हें हार मिली थी। इसके बाद लोकसभा चुनाव में भी खंडवा संसदीय सीट से नंदकुमारसिंह चौहान के सामने हार गए थे।