खंडवा

सूखी नदी में दिखा महिष्मती जैसा राजा जयसिंह का बनवाया 350 साल पुराना हाथी

ताप्ती नदी के राजघाट पर हाथी बनाने का किताब मासीर-ए-रहीम में भी जिक्र

खंडवाJun 07, 2019 / 07:31 pm

राजीव जैन

Mahishmati Like Elephant At Tapti River Rajghat Burhanpur

रंजीत परदेशी @ बुरहानपुर. ताप्ती नदी (Tapti River Burhanpur) में राजघाट पर बना पत्थर का हाथी पूरी तरह दिखने लगा है। युद्ध में मारे अपने हाथी की यादें जिंदा रखने के लिए 350 साल पहले राजा जयसिंह ने राजघाट पर नदी में पड़े पत्थर को हाथी की शक्ल दिलवाई थी। तब से आज तक नदी में कई बार बाढ़ आई, लेकिन हाथी जगह से नहीं डगमगाया, हालांकि इसकी हालत जर्जर जरूर हो गई। अब करीब दस साल बाद ताप्ती के पूरी तरह सूखने के बाद हाथी की यह आकृति फिर उभरकर आई है। बुरहानपुर निवासी इतिहासकार कमरुद्दीन फलक ने बताया कि मासीर-ए-रहीम पुस्तक में भी इस हाथी का जिक्र है। फलक बताते हैं कि शिवाजी औरंगजेब की गिरफ्त से निकल गए थे और जयसिंह के बेटे पर जेल से भगाने का आरोप लगा। औरंगजेब हालांकि यह आरोप सिद्ध नहीं कर पाए। तब राजा जयसिंह फौज के साथ बुरहानपुर में रुके रहे। उसी समय जयसिंह ने राजघाट का निर्माण कराया और पत्थर को भी हाथी की शक्ल दी। उसी समय राजा जयसिंह की छतरी, राजपुरा गेट, राजघाट, राजघाट से जयसिंहपुरा इतना हिस्सा राजा जयसिंह के नाम है, जिसे साउथ बुरहानपुर कहते हैं।
tapti river er Rajghat Burhanpur IMAGE CREDIT: patrika
एक किवदंती यह भी
इतिहासविद होशंग हवलदार बताते हैं कि हाथी निर्माण के पीछे कई किवदंती है। इसमें बताया जाता है कि अकबर ने अपनी विजय प्रतीक के रूप में नदी पर हाथी बनवाया। यह भी कहा जाता है कि शहजादा खुर्रम बुरहानपुर में गुलआरा के प्यार में पड़ गए। जब अर्जुमन बानो के पिता यानी शहजादा के ससुर को यह बात पता चली तो उन्होंने दक्कन फतह करने के लिए शहजादा खुर्रम को भेजा। इसी समय ताप्ती के राजघाट पर बोटिंग करते समय गुलआरा की मौत हो गई। जहां लोगों ने शहजादा को बताया था कि नदी में आए भंवर के कारण गुलआरा यहां डूबी थी, तभी शहजादा ने अन्य लोगों को बचाने के लिए हाथी बनवाया। यह किस्सा 1612 का है।
 

Tapti River Burhanpur
Tapti River Burhanpur IMAGE CREDIT: patrika
चार साल से नहीं आई बाढ़
ताप्ती नदी में पिछले चार साल में बाढ़ नहीं आई। नदी में बाढ़ पर पानी परकोटे के अंदर घुसकर रहवासी इलाके तक आ जाता था, लेकिन कुछ वर्षों से खतरे के निशान से कुछ ऊपर तक ही पानी आ रहा है। बाढ़ आने पर ताप्ती का जलस्तर 228 मीटर तक पहुंच जाता है। लेकिन चार साल में नदी का जल स्तर 222 मीटर से ज्यादा नहीं पहुंचा है। जबकि इसका सामान्य जल स्तर 213 मीटर है।

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