स्वयं को कोई भी किसी से कम नहीं समझता है पर प्रकृति ने सभी को सभी कुछ नहीं दिया है। कोई बौद्धिक रूप से तेज होता है तो कोई शारीरिक रूप से। व्यक्ति के आईक्यू लेवल या बुद्धिलब्धि स्तर का कम या ज्यादा होना आम बात है, लेकिन ऐसा नहीं है कि किसी का आईक्यू लेवल कम है तो वह हमेशा वैसा ही रहेगा, यदि दिमागी मेहनत की जाए तो यह बढ़ जाएगा और दिमाग का स्तर बदल जाएगा।
ऐसे होता है परीक्षण
मनोविज्ञान में ऐसे बहुत सारे प्रयोग हैं, जिनके माध्यम से आईक्यू लेवल को परखा जा सकता है। शाब्दिक, अशाब्दिक, मिश्रित एवं निष्पादन विधियों से आईक्यू स्तर का परीक्षण किया जाता है। इन उक्त विधियों में सरल व जटिल प्रश्नों के माध्यम से जांच पड़ताल की जाती है। फल-फूल व जन्तुओं के नाम उनकी भिन्नताएं आदि से परीक्षण शुरू होता है। शाब्दिक के अंतर्गत तर्क, समानार्थी शब्द, वर्गीकरण, अंक गणित संबंधी सवाल पूछे जाते हैं। अशाब्दिक के अंतर्गत चित्रों के माध्यम से किसी भी विषय की जानकारी ली जाती है। प्रोगेसिव सैटेसिस रेमेन्स विधि जिसमें समय की बाध्यता नहीं होती है के माध्यम से बच्चों और किशोरों का आईक्यू लेवल परखा जाता है। मिश्रित के अंतर्गत मेहरोत्रा मिश्रित बुद्धि परीक्षण प्रचलित विधि है, जिसमें समानार्थी या पर्यावाची शब्दों के बीच एक अलग शब्द को रखकर पहचान कराई जाती है। इसमें विश्वसनीयता, वैधता एवं मानकों का विशेष ध्यान दिया जाता है।
सैन्य अध्ययन और बुद्धिलब्धि परीक्षण
मिलिट्री साइंस के प्राध्यापक डॉ. एल कुसरे का कहना है कि सेना में अच्छे प्रजेंस ऑफ माइंड के साथ आईक्यू लेवल का अच्छा होना जरूरी होता है। मिलिट्री साइंस सिलेबस में आईक्यू लेवल के परीक्षण के लिए मुख्यत: दो विधियों को पढ़ाया जाता है। कोह डिजाइन ब्लॉक और एलेक्जेंडर पास अलांग टेस्ट में चित्र और टाइमिंग से आईक्यू परीक्षण किया जाता है। भाटिया परीक्षण माला के तहत सरल से कठिन डिजाइनों के माध्यम से बुद्धि का निर्धारण किया जाता है, यह परीक्षण माला पांच चरणों में पूर्ण होती है-
पिक्चर कन्सट्रक्शन टेस्ट- इस विधि में दी गई तस्वीर के टुकड़ों को जोड़कर निश्चित समय में तस्वीर तैयार करनी होती है।
तात्कालिक स्मृति परीक्षण- इसमें अंकों या शब्दों को दोहराना होता है।
पिक्चर विधि- रेखाओं के माध्यम से तस्वीर तैयार करनी होती है।
कोह डिजाइन ब्लॉक परीक्षण- इसमें लकड़ी के कलर्ड गुटकों की मदद से दी गई डिजाइन तैयार करनी होती है।
एलेक्जेंडर पास एलांग टेस्ट- निश्चित समय में कलम उठाए बिना लाइन खींचना होता है।
मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए डॉ. ए मैन टेस्ट- इसमें बगैर समय सीमा के इंसान का चित्र बनाना होता है, जिसके द्वारा मानसिक आयु निकाल ली जाती है। मनोविज्ञान व्याख्याता डॉ. वी नायर बताती हैं कि इस विधा में अनेक परीक्षण के साथ ही व्यक्तित्व, रुचि, अभियोग्यता का अध्ययन किया जाना भी जरूरी होता है।
स्टैनफोर्ड बिने इंटेजेंट टेस्ट- इस परीक्षण की यह विशेषता है कि इसके माध्यम से दो वर्ष से लेकर प्रौढ़ावस्था तक के लोगों की मानसिक आयु निकाल सकते हैं। इसमें अलग-अलग आयु वर्ग के हिसाब से अलग-अलग परीक्षण वस्तु हैं।
सेवियून गोडार्ड फॉम बोर्ड टेस्ट- इसमें आकृति व आकार के ज्ञान के आधार पर परीक्षण किया जाता है।
ऐसे निकालें आईक्यू
इंटेलीजेंट क्विशेंट या बुद्धिलब्धि शारीरिक व मानसिक आयु के मध्य का अनुपात है। इसके माध्यम से बौद्धिक क्षमता का आंकलन किया जाता है। आईक्यू लेवल निकालने के लिए मानसिक आयु/शारीरिक आयु x 100 = बुद्धिलब्धि फार्मूले का प्रयोग किया जाता है। औसत आईक्यू 90 से 110 होता है। 140 से अधिक बुद्धिलब्धि स्तर वाले प्रतिभाशाली होते हैं।