खंडवा

Dussehra 2024 : भोलेनाथ की इस नगरी में नहीं होता रावण दहन, प्राचीन काल से चली आ रही है दिलचस्प परम्परा

Dussehra 2024 : दरअसल, रावण भगवान शिव का अनन्य भक्त था। इस कारण रावण के साथ ही यहां कुंभकरण-मेघनाद के पुतलों का दहन भी नहीं किया जाता। यह परंपरा क्षेत्र में प्राचीन समय से चली आ रही है। इसे सभी लोग निभाते आ रहे हैं।

खंडवाOct 12, 2024 / 01:54 pm

Faiz

Dussehra 2024 : एक तरफ जहां विजयादशमी पर्व को बुराई पर अच्छाई की विजयी वाला दिन मानते हुए देशभर में हर साल रावण दहन किया जाता है तो वहीं श्री राम के इस देश में कई जगहें ऐसी भी हैं, जहां अलग अलग कारणों और मान्यताओं के चलते रावण दहन नहीं किया जाता। इन्हीं में से एक मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित भगवान भोलेनाथ की नगरी ओंकारेश्वर में भी दशहरा तो खासा उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन भगवान भोलेनाथ के परम भक्त रावण का पुतला दहन नहीं किया जाता।
देशभर की मान्यताओं से विपरीत प्राचीन काल से चली आ रही इस परम्परा को आज भी शहर के लोग उसी ढंग से मानते आ रहे हैं। दरअसल, रावण भगवान शिव का अनन्य भक्त था। इस कारण रावण के साथ ही यहां कुंभकरण-मेघनाद के पुतलों का दहन भी नहीं किया जाता। यह परंपरा क्षेत्र में प्राचीन समय से चली आ रही है। इसे सभी लोग निभाते आ रहे हैं।
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क्यों नहीं होता रावण दहन?

ओंकारेश्वर के पास स्थित ग्राम शिवकोठी गांव के युवाओं ने एक बार गांव में रावण का पुतला बनाकर दहन किया। उसके परिणाम स्वरूप पुरे गांव में रावण दहन पर भयानक आपसी विवाद छिड़ गया। कुछ ही दिनों में पूरा गांव दो धड़ों में बंट गया। कुछ साल के लिए यहां हालात ऐसे हो गए कि न तो यहां की महिलाएं एक-दूसरे से बातचीत करतीं और ना ही पुरुष एक-दूसरे से मेल मिलाप रखते। गांव के लोगों ने दोनों अलग-अलग धड़ों के लोगों के यहां धार्मिक कार्यक्रमों में तक आना-जाना बंद कर दिया। लगातार विवाद गहराता देख शिवकोठी गांव के बुर्जुगों ने मामले पर आपसी समझौता किया और प्रण लिया कि अब से इस गांव में कोई भी रावण दहन नहीं करेगा।

10 कि.मी दायरे में कहीं दहन नहीं होता

ओंकारेश्वर मंदिर के प्रबंधक ट्रस्टी राव देवेंद्र सिंह का कहना है कि रावण दहन ओंकारेश्वर में नही होता। कुछ साल पहले लोगों ने कोशिश कि थी, पर उसपर विवाद शुरु हो गया, जिसके बाद से यहां रावण दहन को पूर्ण रूप से बंद करने का प्रण लिया गया। राव ने बताया कि प्राचीन काल से चली आ रही इस परम्परा को नगर में आज भी निर्वाह होता आ रहा है। शिवनगरी ओंकारेश्वर से 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाले किसी भी गांव में इसी परम्परा के चलते आज भी रावण दहन नहीं होता।
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मंदिर सवारी प्रभारी ने दी जानकारी

ओंकारेश्वर मंदिर सवारी प्रभारी आशीष दिक्षित के अनुसार, भगवान की सवारी मंदिर से पूजा पाठ आरती के बाद सवारी निकलेगी, जिसमें राज परिवार के साथ नगर के लोग खेड़ापति हनुमान मंदिर जाएंगे। वहां सभी दशहरा पर्व का श्रीगणेश करने के बाद भगवान की सवारी वापस मंदिर पहुंचेगी। नगर के लोग राजमहल पहुंचेंगे राजा राव पुष्पेन्द्र सिह राजमहल में गद्दी पर विराजमान होकर नगर वासियों से आपसी भाईचारा और शांति का आदान प्रदान करेंगे। नगर के विद्वान ब्राह्मण पंडित पुजारियों से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। उसके बाद पूरे नगर में विजय दशहरा पर्व मनाया जाता हैं।

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