खंडवा

जेआर, एसआर जा रहे मेडिकल कॉलेज छोड़कर, हुई डॉक्टर्स की कमी

-पिछले दो माह में 15 से ज्यादा जेआर और दो एसआर के पद हुए खाली-पहले से डॉक्टरों की कमी झेल रहे मेडिकल कॉलेज की परेशानी बढ़ी-सालों बाद मिले त्वचा रोग विशेषज्ञ को भेजा प्रतिनियुक्ति पर, पद हुआ खाली

खंडवाJul 23, 2020 / 10:16 pm

मनीष अरोड़ा

Ambikapur Ghadi chowk,-पिछले दो माह में 15 से ज्यादा जेआर और दो एसआर के पद हुए खाली-पहले से डॉक्टरों की कमी झेल रहे मेडिकल कॉलेज की परेशानी बढ़ी-सालों बाद मिले त्वचा रोग विशेषज्ञ को भेजा प्रतिनियुक्ति पर, पद हुआ खाली

खंडवा.
पहले से ही डॉक्टर्स की कमी झेल रहे शासकीय मेडिकल कॉलेज से पिछले दो माह में कई जूनियर रेसिडेंसी और सीनियर रेसिडेंसी डॉक्टर काम छोड़कर चले गए हैं। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की मान्यता के लिए जेआर और एसआर के स्वीकृत पदों में से जेआर के आधे पद भी नहीं बचे है। वहीं, सालों बाद मेडिकल कॉलेज जिला अस्पताल को मिले त्वचा रोग विशेषज्ञ को भी मेडिकल कॉलेज द्वारा प्रतिनियुक्ति पर इंदौर भेज दिया गया है। जिसके बाद ये पद भी खाली हो गया है।
एमसीआई के नियमानुसार मेडिकल कॉलेज में जेआर के 30 पद भरे हुए होना चाहिए। मेडिकल कॉलेज खंडवा में दो माह पूर्व तक 35 जेआर कार्यरत थे। इसके बाद ये पद खाली होना शुरू हो गए। 14 जेआर तो पिछले एक माह में मेडिकल कॉलेज छोड़कर चले गए है। वहीं, एसआर के 18 पद भरे हुए होना चाहिए। इस पद पर भी पिछले माह तक 25 एसआर कार्यरत थे, जिसमें 9 एसआर मेडिकल कॉलेज छोड़कर चले गए है। अब मेडिकल कॉलेज में 16 एसआर बाकी है। हालांकि एमसीआई द्वारा मेडिकल कॉलेज में तृतीय वर्ष एमबीबीएस की अनुमति देने के लिए अभी मेडिकल कॉलेज के पास काफी समय बाकी है। नीट की परीक्षा नहीं होने से नए बैच नवंबर माह तक आने की संभावना है। जिसके बाद एमसीआई द्वारा निरीक्षण कर सारी व्यवस्थाओं का जायजा लिया जाएगा और आगे की अनुमति दी जाएगी।
पीजी करने गए अधिकतर जेआर
मेडिकल कॉलेज मेें जूनियर रेसिडेंसी और सीनियर रेसिडेंसी डॉक्टर्स एक साल के बांड पर आते है। जेआर पद पर एमबीबीएस और एसआर पद पर एमडी, एमएस डॉक्टर्स होते है। खंडवा मेडिकल कॉलेज में अधिकतर जेआर आगे की पढ़ाई (एमएस/एमडी) पोस्ट गे्रजुएशन के लिए अपने बांड की समयावधि पूरी होने के बाद चले गए है। वहीं, कुछ जेआर का बांड खत्म होने पर वे अन्य मेडिकल कॉलेज में चले गए है। एसआर के भी बांड खत्म होने पर वे भी अन्य मेडिकल कॉलेज में अच्छे पदों पर नियुक्ति मिलने पर खंडवा को छोड़ गए है। इन एसआर की दोबारा नियुक्ति को लेकर मेडिकल कॉलेज प्रशासन प्रयास कर रहा है, लेकिन कई एसआर खंडवा वापस आना नहीं चाहते है।
एमजीएम इंदौर भेजा त्वचा रोग विशेषज्ञ को
मेडिकल कॉलेज अस्पताल बनने से 20 साल बाद जिला अस्पताल को त्वचा रोग विशेषज्ञ मिला था। एक सप्ताह पूर्व मेडिकल कॉलेज द्वारा एक मात्र त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. दुर्गेश सोनारे को प्रतिनियुक्ति पर एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर भेज दिया गया है। अब ये पद दोबारा खाली हो गया है। सूत्रों के मुताबिक एमजीएम कॉलेज में एमसीआई का निरीक्षण होने से वहां त्वचा रोग विशेषज्ञ की कमी के चलते चलते खंडवा मेडिकल कॉलेज से ये प्रतिनियुक्ति की गई है। वहीं, दूसरी ओर एमडी मेडिसिन विभाग एचओडी डॉ. हिमांशु माथुर भी हृदय रोग की समस्या के चलते पिछले एक माह से छुट्टी पर है। सूत्रों के मुताबिक उनके वापस आने की भी संभावना बहुत कम है।
स्थाई नियुक्ति का कर रहे प्रयास
जिन जेआर, एसआर के एक साल के बांड पूरे हो गए हैं, वे वापस जा रहे है। एसआर के लिए हमने स्थाई भर्ती पोस्ट निकाली है। कुछ आवेदन भी आ चुके हैं। एमजीएम मेडिकल कॉलेज में फेकेल्टी कम थी, इसलिए डॉ. सोनारे को वहां भेजा है। अस्पताल का काम प्रभावित न हो इसलिए हमने टिचिंग और डेमोस्ट्रेटर स्टाफ को भी वहां लगाया है।
डॉ. अनंत पंवार, डीन मेडिकल कॉलेज

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