scriptअधिक बारिश से फसलों को नुकसान, खेतों में जलभराव, नमी से पीली पडऩे लगी फसलें | Damage to crops due to excessive rain, waterlogging in fields | Patrika News
खंडवा

अधिक बारिश से फसलों को नुकसान, खेतों में जलभराव, नमी से पीली पडऩे लगी फसलें

किसानों के खेतों में बारिश का पानी हो गया है जमा

खंडवाJul 30, 2022 / 11:12 am

harinath dwivedi

The rain in winter gave life to the crops

The rain in winter gave life to the crops

खंडवा. लगातार बारिश से खेतों में बारिश का पानी जमा हो गया है। अधिक नमी के चलते अंकुरित फसलें पीली पडऩे लगी हैं। जो किसान हर साल जुलाई में बारिश की आस लगाए रहता था वह अब अपने खेतों से पानी बाहर निकालने की जद्दोजहद में लगा है। किसानों के अनुसार अब 10 दिन बारिश नहीं होने पर उनके खेतों में लगी फसलें बच पाएगी।
ऐसा नहीं हुआ तो फसल खराब होने पर दोबारा बोवनी करना होगी। जिले में इस साल 3 लाख 28 हजार हेक्टेयर रकबे में खरीफ फसलों की बोवनी होनी है। जिसमे से अबतक 80 प्रतिशत पूरे जिले में खरीफ फसलों की बोवनी हो चुकी है। किसानों ने पहली व दूसरी बारिश के बाद इस उम्मीद से फसलों की बोवनी की थी।
कि इस बार जुलाई महीने की शुरुआत में ही बेहतर बारिश से अच्छी फसल आएगी लेकिन लगातार बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। पूर्व में दो- तीन दिन हुई बारिश का पानी किसानों के खेतों में जमा हो गया। यही नहीं गांवों के तालाब, नदी यहां तक कि कुएं भी बारिश के पानी से लबालब हो गए।
ऐसा पहली बार हुआ है जब जुलाई माह के मध्य में ही जलस्स्रोतों का जलस्तर बढ़ा हो।
8 दिन तक पानी नहीं गिरा तो फसलें सुरक्षित
किसान जय पटेल ने बताया अभी तक की बारिश फसलों के लिए बेहतर थी लेकिन दो तीन दिन हुई बारिश से किसानों के खेतों में पानी जमा हो गया। अब और बारिश होती है तो मिट्टी में नमी बनी रहने से फसल में फंगस यानी पीला मोजेक का खतरा बढ़ जाएगा।
ऐसे में फसल पीली होकर सड़ जाएगी।
सोयाबीन, कपास व मक्का की फसलों को नुकसान होने की संभावना है।लौकी, गोभी व मिर्च को भी नुकसान किसान ने बताया खरीफ फसलों के अलावा खेतों में लगी सब्जी जिसमें गोभी, लौकी व मिर्च के फूल अधिक पानी गिरने से झड़ जाएंगे जिसका असर उसके उत्पादन पर पड़ेगा। बाजार में सब्जियां महंगे दामों पर मिलेगी।किसानों के खेतों में बारिश का पानी हो गया है जमा
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
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खंडवा. लगातार बारिश से खेतों में बारिश का पानी जमा हो गया है। अधिक नमी के चलते अंकुरित फसलें पीली पडऩे लगी हैं। जो किसान हर साल जुलाई में बारिश की आस लगाए रहता था वह अब अपने खेतों से पानी बाहर निकालने की जद्दोजहद में लगा है। किसानों के अनुसार अब 10 दिन बारिश नहीं होने पर उनके खेतों में लगी फसलें बच पाएगी।
ऐसा नहीं हुआ तो फसल खराब होने पर दोबारा बोवनी करना होगी। जिले में इस साल 3 लाख 28 हजार हेक्टेयर रकबे में खरीफ फसलों की बोवनी होनी है। जिसमे से अबतक 80 प्रतिशत पूरे जिले में खरीफ फसलों की बोवनी हो चुकी है। किसानों ने पहली व दूसरी बारिश के बाद इस उम्मीद से फसलों की बोवनी की थी।
कि इस बार जुलाई महीने की शुरुआत में ही बेहतर बारिश से अच्छी फसल आएगी लेकिन लगातार बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। पूर्व में दो- तीन दिन हुई बारिश का पानी किसानों के खेतों में जमा हो गया। यही नहीं गांवों के तालाब, नदी यहां तक कि कुएं भी बारिश के पानी से लबालब हो गए।
ऐसा पहली बार हुआ है जब जुलाई माह के मध्य में ही जलस्स्रोतों का जलस्तर बढ़ा हो।
8 दिन तक पानी नहीं गिरा तो फसलें सुरक्षित
किसान जय पटेल ने बताया अभी तक की बारिश फसलों के लिए बेहतर थी लेकिन दो तीन दिन हुई बारिश से किसानों के खेतों में पानी जमा हो गया। अब और बारिश होती है तो मिट्टी में नमी बनी रहने से फसल में फंगस यानी पीला मोजेक का खतरा बढ़ जाएगा।
ऐसे में फसल पीली होकर सड़ जाएगी।
सोयाबीन, कपास व मक्का की फसलों को नुकसान होने की संभावना है।लौकी, गोभी व मिर्च को भी नुकसान किसान ने बताया खरीफ फसलों के अलावा खेतों में लगी सब्जी जिसमें गोभी, लौकी व मिर्च के फूल अधिक पानी गिरने से झड़ जाएंगे जिसका असर उसके उत्पादन पर पड़ेगा। बाजार में सब्जियां महंगे दामों पर मिलेगी।

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