मंदिर निर्माण समिति के संयोजक और भाजपा नेता राजेश डोंगरे ने कहा कि दादा भक्त एेसा कहते हैं कि दादाजी की इच्छा होगी तो मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। वह समय आ गया है अब दादाजी की इच्छा है कि मंदिर बने और आज छोटे से बुलावे पर बड़ी संख्या में दादाजी भक्त ने उपस्थित होकर संकल्प लिया है कि अब हम मंदिर बनवाकर ही रहेंगे।
दादाजी धूनीवाले ने 1930 में समाधि ली एवं 1942 में छोटे दादाजी का महानिर्वाण हुआ। करीब 34 एकड़ में दादाजी धूनीवाला दरबार ट्रस्ट की ओर से संचालित है। पिछले करीब ढाई दशक से छोटे सरकार उर्फ रामेश्वरदयाल महाराज यहां सफेद संगमरमर का आकर्षक 84 खंभों का मंदिर बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। कई बार बैठकों का दौर, समिति के गठन, नक्शों का निर्माण का प्रस्ताव ट्रस्ट और मंदिर निर्माण समर्थकों के बीच चला लेकिन कोई हल नहीं निकला।
दादाजी का मंदिर बनाने के लिए वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। जहां समाधि है वह मंदिर ट्रस्ट के अधीन है। जबकि दादाजी के वर्तमान वारिस रामेश्वर दयाल उर्फ छोटे सरकार ने 15 साल पहले 12 ट्रक मार्बल भिजवाया और कहा शिर्डी और शेगांव की तर्ज पर यहां 84 खंभों का मंदिर बनाया जाए, लेकिन ट्रस्ट का यह मानना है कहीं मंदिर बनने के बाद छोटे सरकार इस मंदिर पर कब्जा न कर लें। एेसे में ट्रस्ट ने आरसीसी का भव्य मंदिर बनाने की योजना बना दी।
-मंदिर निर्माण को लेकर समिति का गठन हो
-आन्दोलन में महिलाओं को भी जोड़ा जाए
-गुरुवार 16 नवबंर को 11 बजे दादाजी भक्त हवन करेंगे
-निर्माण की पहली पाती दादाजी के चरणों में प्रस्तुत की जाएगी
-जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष मोहन गंगराड़े ने कहा मंदिर के लिए जन आन्दोलन बनाकर हर परिवार को जोड़ा जाए
-पूर्व एल्डर मैन जग्गनाथ माने ने कहा मंदिर पर ट्रस्ट का एकाधिकार हो गया है। इसलिए इनकी जगह भक्त होना चाहिए भक्त का चोला पहनने वाला नहीं। सभी नेता, अधिकारी पांच ट्रस्टियों के आगे नतमस्तक है।
-दादाजी भक्त और संत दुर्गा ने कहा आन्दोलन करना होगा। इसके लिए जरूरत पड़ी तो संतों और नागा साधुओं की टोली भी इस आन्दोलन में आहुति देगी।
-सतनाम सिंह होरा ने कहा एेसा आन्दोलन किया जाए कि 2018 में इस मंदिर की नींव डाल दी जाए। दादाजी मंदिर को बनाने के लिए पैसे नहीं दरबार में पग रखने की जरूरत है।
-राजू सुनगत ने कहा कि ट्रस्टियों के हठ के आगे दादा जी का लट्ठ चलेगा।