खंडवा

शहर के हॉस्टल फुल, ग्रामीण में ट्राइबल के 30 छात्रावासों में 790 सीटें खाली

चालू शैक्षणिक सत्र 2024_25 : स्कूल शिक्षा विभाग के छात्रावास और ट्राइबल में ग्रामीण क्षेत्र के हॉस्टलों में सीटें रह गई खाली, संसाधनों पर जम रही धूल की लेयर, स्कूल शिक्षा विभाग में हॉस्टल की सीटें शहर से गांव तक फुल हैं। जनजातीय कार्य विभाग ( ट्राइबल ) के शहरी क्षेत्र में छात्रावास व आश्रम ओवर फ्लो हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में 30 छात्रावास, आश्रमों में 790 सीटें खाली रह गईं।

खंडवाDec 10, 2024 / 03:54 pm

Rajesh Patel

बालिका छात्रावास में सामूहिक रूप से भोजन करती छात्राएं

चालू शैक्षणिक सत्र 2024_25 : स्कूल शिक्षा विभाग के छात्रावास और ट्राइबल में ग्रामीण क्षेत्र के हॉस्टलों में सीटें रह गई खाली, संसाधनों पर जम रही धूल की लेयर, स्कूल शिक्षा विभाग में हॉस्टल की सीटें शहर से गांव तक फुल हैं। जनजातीय कार्य विभाग ( ट्राइबल ) के शहरी क्षेत्र में छात्रावास व आश्रम ओवर फ्लो हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में 30 छात्रावास, आश्रमों में 790 सीटें खाली रह गईं।

छात्रावास, आश्रमों में निर्धारित सीटों से 5-10 % छात्र वेटिंग में रहे

चालू शैक्षणिक सत्र 2024_25 : स्कूल शिक्षा विभाग के छात्रावास और ट्राइबल में ग्रामीण क्षेत्र के हॉस्टलों में सीटें रह गई खाली, संसाधनों पर जम रही धूल की लेयर, स्कूल शिक्षा विभाग में हॉस्टल की सीटें शहर से गांव तक फुल हैं। जनजातीय कार्य विभाग ( ट्राइबल ) के शहरी क्षेत्र में छात्रावास व आश्रम ओवर फ्लो हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में 30 छात्रावास, आश्रमों में 790 सीटें खाली रह गईं। इसमें जनजातीय एवं अनुसूचित जाति दोनों की संस्थाएं शामिल हैं। स्कूल शिक्षा व ट्राइबल विभाग के नगरीय क्षेत्र के छात्रावास, आश्रमों में निर्धारित सीटों से 5-10 % छात्र वेटिंग में रहे। तीस सितंबर के बाद उम्मीद टूटने पर अध्ययन के लिए किराए के भवन में रहने लगे। ग्रामीण क्षेत्र में ट्राइबल के कुछ हॉस्टलों में निर्धारित सीट के एक तिहाई बच्चे भी नहीं हैं। ऐसे हॉस्टलों में सीटों पर धूल की लेयर जमा हो रही है।

ट्राइबल में शहर से गांव तक 114 संस्थाएं संचालित

जनजातीय कार्य विभाग ( ट्राइबल ) में शहर से गांव तक 114 संस्थाएं संचालित हैं। 6573 स्वीकृत सीटों में से 5783 सीटों भरी हैं। इसमें जनजातीय एवं अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए छात्रावास एवं आश्रम दोनों हैं। जनजातीय की 73 संस्थाएं हैं, इसमें चार महाविद्यालयीन स्तर की शामिल हैं। शेष 42 अनुसूचित जाति की संस्थाएं हैं। इसमें तीन महाविद्यालय स्तर की ओर छह उत्कृष्ट स्तर की संस्थाएं संचालित हैं। इसमें सबसे कम छात्रों वाली संस्था अनुसूचित जाति सीनियर बालक छात्रावास बीड-2 में 50 सीटर छात्रावास में 11 छात्र ही दर्ज हैं। इसी तरह चिचगोहन में 50 सीटर छात्रावास में 11 बच्चे अध्ययनरत हैं। बालक छात्रावास ओंकारेश्वर में 50 सीट में सिर्फ 12 बच्चे पढ़ रहे हैं। इसी तरह महाविद्यालय कन्या छात्रावास हरसूद में 50 सीटर में 25 छात्राएं दर्ज हैं।

जनजाति के इन हॉस्टलों में 50 % से ज्यादा सीटें रिक्त

इसी तरह जनजातीय सीनियर छात्रावास रिछफल, खार, सुंदर देव नवीन, पांडल्या, गुड़ी, ओंकारेश्वर, झिंझरी, जनजातीय सीनियर कन्या छात्रावास गुलाई, जनजातीय बालक आश्रम रोशनी, उदियापुर, दावनिया, जनजातीय कन्या आश्रम दिदम्दा, आंवलिया, झारीखेड़ा, कोटवारिया माल, जनजातीय महाविद्यालयीन कन्या छात्रावास हरसूद।

अनुसूचित जाति इन हॉस्टलों में भी बच्चे कम

अनुसूचित जाति सीनियर कन्या छात्रावास छैगांव माखन, महाविद्यालयीन छात्रावास हरसूद, बालक छात्रावास कालमुखी, बीड़-1, ओंकारेश्वर, नवीन चिचगोहन, बालक छात्रावास छैगांव माखन, खालवा, आशापुर, जूनियर बालक छात्रावास मूंदी, पंधाना, सीनियर उत्कृष्ट कन्या शिक्षा केंद्र आशापुर।

स्कूल शिक्षा विभाग : ग्रामीण क्षेत्र में दो छात्रावास में 63 सीटें खाली

जिला शिक्षा केंद्र समग्र शिक्षा अभियान के तहत 15 छात्रावास संचालित हो रहे हैं। छात्रावासों में 1550 सीटे हैं। इसमें 1486 सीटें भरी हैं। शहर के सभी सीटें फुल हैं। ग्रामीण क्षेत्र में तीन संस्थाओं में 64 सीटें खाली हैं। कस्तूबा गांधी बालिका विद्यालय रोशनी 250 सीट में 200 सीटें भरी हैं। शेष 50 सीटें खाली हैं। इसी तरह बालक छात्रावास में 100 सीट में 94 सीटें भरी हैं। सीडब्ल्यूएसएन छात्रावास में 50 सीट में 42 बच्चे हैं। ज्यादातर सीटें भरी हुई हैं। तीन हॉस्टलों को छोड़ शेष निर्धारित सीटों के तहत भरी हुई हैं। इसमें कुछ संस्थाएं ऐसी हैं। जहां बीते माह तक बच्चे प्रवेश के लिए परेशान रहें। लेकिन निर्धारित सीट से अधिक बच्चों को रखने का नियम नहीं है। ऐसे में बाद में उन्हें बाहर प्रवेश लेना पड़ा।

इनका कहना...पीएस सोलंकी, जिला शिक्षा अधिकारी…छात्रावास की सीटें भरी हुई हैं। ग्रामीण क्षेत्र के एक आवासीय स्कूल में पचास सीटें खाली हैं। शेष दो अलग-अलग संस्थाओं में सिर्फ 10 सीटें खाली हैं। प्रवेश प्रक्रिया के बाद रिक्त हुई हैं। सभी छात्रावास शासन की गाइड लाइन के तहत संचालित किए जा रहे हैं। हर माह निरीक्षण किया जा रहा है।

इनका कहना…विवेक पांडेय, प्रभारी, सहायक आयुक्त, जनजातीय कार्य विभाग …सीटें के फुल हैं। ग्रामीण क्षेत्र में सीटें खाली हैं। इसकी वजह बच्चों के घरों के आस-पास स्कूल संचालित हो रहे हैं। संबंधित स्कूलों में संपर्क किया गया है। बच्चे स्कूल में पढ़ने के साथ ही संस्था में रह सकते हैं। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

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