साक्षात शिव का अवतार माने जाने वाले एक संत ने मप्र के खंडवा जिले में महासमाधि ली थी। ये स्थान दादाजी धाम के नाम से जाना जाता है। 11 दिसंबर को दादाजी के बरसी उत्सव पर मप्र, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, नागपुर सहित देशभर से भक्त यहां आएंगे। पत्रिका डॉट कॉम में पढि़ए, डंडे वाले एक महान संत की अनूठी कहानी…
खंडवा. साक्षात शिव का अवतार माने जाने वाले एक संत ने मप्र के खंडवा जिले में महासमाधि ली थी। मप्र, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, नागपुर सहित देशभर से भक्त यहां शीश झुकाने आते हैं। 11 दिसंबर को दादाजी के बरसी उत्सव पर भक्त यहां आएंगे। पढि़ए, डंडे वाले संत की कहानी।
जब गुरु गौरीशंकर को भोलेनाथ के रूप में दिए दर्शन
शिवजी के बहुत बड़े भक्त गौरीशंकर महाराज, 18वीं सदी में अपनी टोली के साथ नर्मदा मैया की परिक्रमा किया करते थे। घोर तपस्या कर उन्होंने प्रार्थना की कि उन्हें भोलेनाथ के दर्शन हों। जब उनकी 12 कठिन परिक्रमाएं पूर्ण हुई तो मां नर्मदा ने उनसे प्रसन्न होकर दर्शन दिए। कहा कि उन्हीं की जमात में केशव नाम के युवा के रूप में भोलेनाथ मौजूद हैं। भगवान शिवजी के दर्शन के लिए व्याकुल गौरीशंकर महाराज जब वापस लौटे तो उन्होंने सच में उस लड़के (दादाजी) में भगवान शिवजी का रूप देखा, जब उन्हें अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ तो भोलेनाथ ने उन्हें कहा कि अगर अपनी आंखों पे यकीन नही होता है तो मुझे छू कर आजमा ले।
गाली देते थे, डंडा मारते थे फिर भी जोड़ते थे हाथ
दादाजी महाराज हमेशा अपने साथ एक डंडा रखा करते थे और जहां होते वहां धूनी रमाते। दिगंबर रूप दादाजी महाराज के दर्शन के लिए हर रोज हजारों लोग आया करते थे। जन कल्याण करने का दादाजी का बहुत ही विचित्र तरीका था, वे भक्तों को गाली देते व डंडा मारते, हर तरह के लोग, अमीर से अमीर और गरीब से गरीब दादाजी के आशीर्वाद के लिए आते। जिनके बच्चे ना हों उनको संतान देना, बीमार लोगों को ठीक करना और मुर्दों को जिंदा करना जैसे चमत्कार भी दादाजी ने दिखाए। दिसंबर 1930 में दादाजी महाराज ने खंडवा में महासमाधि ली। उनके बाद उनकी गद्दी को छोटे दादाजी हरीहर भोले भगवान ने संभाला।
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