खंडवा

किशोर कुमार के किस्से: मधुबाला से कहते थे एक दर्जन बच्चे पैदा कर खंडवा की गलियों में निकलूंगा

आज भी लोगों के दिलों में रहते हैं खंडवा वाले किशोर दा…।

खंडवाAug 04, 2020 / 06:08 pm

Manish Gite

खंडवा। दुनिया को अपनी आवाज का दीवाना बनाने वाले किशोर कुमार के किस्से बहुत चर्चित रहते हैं। उनके जन्म दिवस के मौके पर हम आपको बता रहे हैं उनसे जुड़े पांच मजेदार किस्से…।

 

खंडवा के रेलवे स्टेशन के सामने ही है गांगुली निवास, जहां किशोर कुमार का जन्म हुआ था। यह गांगुली निवास अब बिक गया है, लेकिन किशोर की यादें आज भी यहां जीवित है। बाहर से आने वाला हर शख्स एक बार इस गांगुली निवास के सामने रुककर जरूर देखता है। पार्श्व गायक किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 को इसी निवास में हुआ था।

 

किस्सा-1

खंडवा वाले किशोर कुमार की बेहद मजेदार कहानी है। किशोर कुमार बड़े भाई अशोक कुमार के मुंबई स्थित बंगले पर छुट्टी मना रहे थे। एक दिन अचानक संगीतकार सचिन देव बर्मन वहां पहुँच गए। उन्होंने बैठक में किसी के गाने की आवाज सुनी तो दादा मुनि से पूछ बैठे ‘कौन गा रहा है?’ अशोक कुमार ने कहा- ‘मेरा छोटा भाई। जब तक गाना नहीं गाता, उसका नहाना पूरा नहीं होता।’ बर्मन पहली बार उनकी आवाज सुन रहे थे। बर्मन ही थे जिन्होंने किशोर की आवाज को पहचान लिया और दुनिया को यह नगीना दे दिया।


किस्सा-2

किशोर के सबसे मशहूर किस्सों में से एक था पैसों का किस्सा। कहते हैं किशोर कुमार अपना पैसा कभी नहीं छोड़ते थे। इसे लेकर कई किस्से भी मशहूर हैं। फिल्म प्यार किए जा में कॉमेडियन मेहमूद ने किशोर दा, शशि कपूर और ओमप्रकाश से ज्यादा पैसे वसूले थे। किशोर को यह बात अखर गई। इसका बदला उन्होंने मेहमूद से फिल्म ‘पड़ोसन’ में लिया और उनसे दोगुना पैसा हथिया लिया।

 


किस्सा-3

किशोर कुमार की आखिरी इच्छा थी कि खंडवा में ही उनका अंतिम संस्कार किया जाए। इस इच्छा को पूरा भी किया गया। खंडवा में ही उनका अंतिम संस्कार हुआ। पूरा शहर अपने इस नायक को अलविदा कहने के लिए गुनगुना रहा था। वे कहा करते थे- ‘फिल्मों से संन्यास लेने के बाद वे खंडवा में ही बस जाएँगे और रोज दूध-जलेबी खाएँगे। लेकिन, यह इच्छा उनकी अधूरी रह गई।

https://youtu.be/6004Bu8mn38


किस्सा-4

इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़ने आए किशोर कुमार हर सप्ताह मीटरगेज ट्रेन का सफर करते हुए खंडवा पहुंच जाते थे। बताया जाता है कि वो अपने शहर से ज्यादा दिनों तक दूर नहीं रह पाते थे। सफर के दौरान जब ट्रेन रुकती थी तो वे स्टेशन पर बोगी बदल लेते थे और मुसाफिरों के साथ घुल-मिलकर गाने सुनाया करते थे। लोग भी खुश हो जाते थे।

 

https://youtu.be/BqGRQXF9OJo

किस्सा-5

किशोर दा को खंडवा से बेहद लगाव रहा। किशोर कुमार ने जब-जब स्टेज-शो किए, हमेशा हाथ जोड़कर सबसे पहले संबोधन करते थे- ‘मेरे दादा-दादियों। मेरे नाना-नानियों। मेरे भाई-बहनों, तुम सबको खंडवे वाले किशोर कुमार का राम-राम। नमस्कार।’ ऐसे ही अपने शहर से लगाव के चलते उन्होंने अपनी दूसरी पत्नी मधुबाला से शादी के बाद मजाक में कहा था- ‘मैं दर्जनभर बच्चे पैदा कर खंडवा की गलियों में उनके साथ घूमना चाहता हूँ।’

 

 

 

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