खजुराहो. मप्र शासन के संस्कृति विभाग और उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित खजुराहो नृत्योत्सव शनिवार से शुरू हो रहा है। एक सप्ताह तक चलने वाले इस आयोजन में देश-विदेश के ख्याति प्राप्त कलाकार भाग ले रहे हैं। इस कड़ी में हम mp.patrika.com आपको बता रहा हैं प्रसिद्ध ओडिसी नृत्यांगना पद्मश्री रंजना गौहर और ओडिसी नृत्य के बारे में…
लेखक, कोरियोग्राफर के साथ फिल्म निर्मात्री भी…
प्रसिद्ध ओडिसी नृत्यांगना पद्मश्री रंजना गौहर पटकथा लेखक, कोरियोग्राफर और फिल्म निर्मात्री भी हैं। उनका जन्म दिल्ली में हुआ। बचपन में कथक सीखने के बाद मणिपुरी नृत्य सीखा और ओडिसी नृत्य से साक्षात्कार होने पर उन्होंने अपना जीवन इसी नृत्य शैली को समर्पित कर दिया।
दूरदर्शन के लिए बनाई थी डॉक्यूमेंट्री
ओडिसी को देश भर में पहचान दिलाने के लिए उन्होंने दूरदर्शन के लिए ओडिसी नृत्य पर डॉक्यूमेंट्री फिल्में भी बनाई ताकि देश के हर कोने में इस नृत्य को पहचान मिले। उन्होंने अपनी किताब ओडिसी, द डांस डिवाइन के जरिए ओडिसी नृत्य की बारीकियों को लोगों तक पहुंचाया। ओडिसी ओडिशा राज्य की एक शास्त्रीय नृत्य शैली है। इस शैली का जन्म मंदिर में नृत्य करने वाली देवदासियों के नृत्य से हुआ था।
भगवान जगन्नाथ की महिमा का गान
ओडिसी सबसे प्राचीन नृत्य शैलियों में से एक है। यह कोमल, कवितामय, शास्त्रीय नृत्य है, जिसमें उड़ीसा के सबसे लोकप्रिय देवता भगवान जगन्नाथ की महिमा का गान किया जाता है। इसमें राधा-कृष्ण के नृत्य व संगीत का बड़ा महत्व है। कथक तो राधा-कृष्ण के प्रेम पर ही आधारित नृत्य शैली है। रास कथक नृत्य का प्रारंभिक नृत्य है। भक्ति आंदोलन के समय तक नृत्य आध्यात्मिकता से आगे बढ़ कर लोक-जीवन का हिस्सा बनने लगा था। कथक में राधा-कृष्ण के प्रेम की अलग-अलग अवस्थाएं दर्शाई जाती हैं।
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