खजुराहो.भारतीय शास्त्रीय नृत्य पर आधारित अंतरराष्ट्रीय खजुराहो नृत्योत्सव का शनिवार शाम को आसमान पर छाई बदरी के बीच मुक्ताकाशी मंच पर रंगारंग आगाज हुआ। आज महोत्सव में मैथिल देविका मोहिनीअट्टम की प्रस्तुति देंगी, जबकि मधु नटराज एवं साथी कथक समकालीन की परफॉरमेंस देंगे। नाट्य बेले सेंटर द्वारा ओडि़सी नृत्य किया जाएगा। इस कड़ी में हम mp.patrika.com आपको बता रहा हैं, भारत के प्रसिद्ध नृत्य मोहिनीअट्टम के बारे में…
मादक मुद्राओं से मिलकर बनता है यह नृत्य
मोहिनीअट्टम, जिसे मोहिनीयट्टम भी कहा जाता है। यह दक्षिण भारतीय शैली का भारत के केरल प्रान्त का एक शास्त्रीय नृत्य है। इस मोहक नृत्य को नृत्यांगनाएं एकल रूप में प्रस्तुत करती हैं। मोहिनीअट्टम शब्द दो शब्दों मोहिनी अर्थात मोह लेने वाली अट्टम यानि मादक मुद्राएं से मिलकर बना है।
भरतनाट्यम और कथकली का सुंदर संगम
इस शास्त्रीय नृत्य में दक्षिण की दो अत्यंत सुंदर नृत्य शैली भरतनाट्यम और कथकली का सुंदर संगम देखने को मिलता है। इस नृत्य में पहने जाने वाले परिधान साड़ी के किनारों पर सुनहरा जड़ी लगा होता है। नृत्य के समय हस्त लक्षणदीपिका में वर्णित पदों के मुद्राओं के अनुसार नृत्य होता है। नृत्य के समय एक गायक होता है चोल्ल के अनुसार पदों को गाता रहता है।
मोहिनीअटट्म का प्रथम संदर्भ माजामंगलम नारायण नब्बूदिरी द्वारा संकल्पित व्यवहार माला में पाया जाता है जो 16वीं शताब्दी में रचा गया। 19वीं शताब्दी में स्वाति तिरुनाल, पूर्व त्रावण कोर के राजा थे, जिन्होंने इस कला रूप को प्रोत्साहन और स्थिरीकरण देने के लिए काफी प्रयास किए।
स्वाति के पश्चात के समय में यद्यपि इस कला रूप में गिरावट आई। किसी प्रकार यह कुछ प्रांतीय जमींदारों और उच्च वर्गीय लोगों के भोगवादी जीवन की संतुष्टि के लिए कामवासना तक गिर गया। कवि वालाठोल ने इसे एक बार फिर नया जीवन दिया और इसे केरल कला मंडलम के माध्यम से एक आधुनिक स्थान प्रदान किया। जिसकी स्थापना उन्होंने 1903 में की थी।
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