प्रदेश सरकार द्वारा श्रमिकों को आत्मनिर्भर व सम्मान देने श्रमिकों के लिए कई योजना बनाई।लेकिन जमीनीं स्तर पर इन श्रमिकों को योजना का लाभ नहीं मिल पाता है। कुछ को योजना का लाभ मिलता भी है तो काफी भटकने के बाद। प्रदेश सरकार ने असंगठित कर्मकार व सन्निर्माण कर्मकार के लिए कई योजना बनाई। साथ ही श्रमिकों के परिवार तक के लिए योजना बनाई है, लेकिन इन योजनाओं को श्रमिकों तक पहुंचाने में जिले के अधिकारी नाकाम साबित हो रहे हैं। इसके कारण श्रमिकों व उनके परिवार के लोगों को योजना की जानकारी ही नहीं है। श्रमिकों की उन्नति के लिए प्रदेश सरकार योजना बनाकर उन्हे लाभ दिलाने का प्रयास कर रही है। लेकिन जिले में श्रमिक योजनाओं का लाभ जमीनीं स्तर पर नहीं मिल पा रहा है।
पंजीयन कराना जरुरी, फिर भी योजना की जानकारी नहीं
श्रम विभाग द्वारा सभी प्रकार के मजदूरों का पंजीयन करती है। श्रमिकों को पंजीयन होने के बाद भी योजना का लाभ दिया जा सकता है। योजना व पंजीयन की जानकारी नहीं होने के कारण आज भी सैकड़ों श्रमिकों को पंजीयन श्रम विभाग में नहीं हो सका है। भवन सह निर्माण के करीब 38 हजार 960 श्रमिकों का पंजीयन श्रम विभाग में हुआ है। इसी प्रकार 25 हजार 864 असंगठित कर्मकार का पंजीयन हुआ है। इसके बाद भी कई श्रमिकों का पंजीयन नहीं हो सका है। इसके कारण उन्हे योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। असंगठित कर्मकार में शासन ने करीब 53 प्रकार के कामों को शामिल किया है। वहीं भवन सह निर्माण कर्मकार में 60 प्रकार के काम करने वाले श्रमिकों को लिया गया है। यही काम करने वाले को योजना का लाभ दिया गया है। श्रमिकों को मिलने वाला योजना नौनिहाल छात्रवृत्ति योजना के तहत पहली से स्नातकोत्तर तक एक हजार से10 हजार रुपए तक छात्रवृत्ति दिया जाता है। मेधावी छात्र शिक्षा प्रोत्साहन के तहत 75 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को पांच हजार से 12 हजार तक प्रोत्साहन राशि दिया जाता है। इसी प्रकार भगिनी प्रसूति सहायता के तहत महिला श्रमिक को 10 हजार रुपए प्रसूति सहायता प्रदान किया जाता है। श्विकर्मा दुर्घटना मृत्यु व अंत्येष्टि व अनुग्रह सहायकता योजना के तहत मृत्यु पर एक लाख रुपए, अपंगता पर75 हजार व सामान्य मृत्यु पर 25 हजार रुपए सहायता मिलता है। इसी प्रकार दुर्घटना चिकित्सा 20 हजार मिलता है। इसके साथ असंगठित कर्मकार के लिए करीब 24 योजना बनाई है। इसी प्रकार भवन कर्मकार के लिए 9 योजना है। जिसके तहत लाभ दिलाना है।लेकिन जिले में बड़ी संख्या में मजदूर है। जिन्हे योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।
नहीं मिलता योजना का लाभ
जिले में अधिक संख्या में केवल असंगठित कर्मकारों को सायकिल, सिलाई मशीन व ई-रिक्सा व ठेला श्रमिकों को ही योजना का कुछ हद तक लाभ मिल पाता है। लेकिन भवन सह निर्माण के श्रमिकों को योजना का लाभ नहीं मिल पाता है। शहर में सैकड़ों श्रमिक काम के तलास में शहर में इक्कठा होते हैं, लेकिन यहां उनके बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। जबकि वे धूप में सडक़ पर ही बैठकर काम की तलास करते हैं। जबकि शासन ने श्रम विभाग के माध्यम से श्रमिकों के लिए पंडित दिनदयाल उपाध्याय श्रम अन्न सहायता योजना प्रारंभ की है। इस योजना के तहत कार्य की तलास पर चावड़ी में एकत्रित होने वाले मजदूरों का पंजीयन कर उन्हे 5 रुपए में गरम भोजन प्रदान किया जाना है। लेकिन यहां तो श्रमिकों के बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। प्रचार प्रसार की कमी के कारण योजना की जानकारी नहीं मिल पाती है। श्रम विभाग कबीरधाम, श्रम अधिकारी,राजेश आडिले ने कहा- श्रमिकों के लिए कई योजना है। जिसका लाभ उन्हे मिल रहा है। पंजीयन के लिए शिविर भी लगाया जाता है। हजारों श्रमिकों का पंजीयन भी हुआ है। समय समय पर प्रचार प्रसार भी किया जाता है। कई शिविर व अन्य कार्यक्रम में योजना के तहत सामग्री वितरण भी किया जाता है। इससे उन्हे प्रोत्साहन मिल रहा है।