होनहारों को यह जानकर दु:ख होगा कि जिन किताबों को पढ़कर वे महारत हासिल करना चाहते हैं, वे किताबे काफी पुराने हो चुके हैंं।
कवर्धा•Oct 23, 2018 / 06:55 pm•
Deepak Sahu
कबाड़ हुई लाखों की किताबें, विद्यार्थियों को थमा रहे सिलेबस से बाहर की पुस्तकें
कवर्धा. छत्तीसगढ़ के शासकीय स्नात्कोत्तर महाविद्यालय के होनहारों को यह जानकर दु:ख होगा कि जिन किताबों को पढ़कर वे महारत हासिल करना चाहते हैं, वे किताबे काफी पुराने हो चुके हैंं।नए सिलेबस के किताबें गिनती के हैं जो सभी विद्यार्थियों को नहीं मिल पाता है।जिले का एकलौता शासकीय स्नात्कोत्तर महाविद्यालय इन दिनों “चिराग तले अंधेरा” की कहावत को चरितार्थ कर रहा है।बाहर से जितना तामझाम दिखाई दे रहा है। वास्तव में ऐसा है नहीं। यहां अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की सुविधा के मद्देनजर केंद्रीय ग्रंथालय संचालित किया जा रहा है। प्रतिवर्ष ग्रंथालय में लाखों रुपए की किताबें खरीदी जा रही है। लापरवाह व्यवस्था के कारण पूर्व में खरीदे गए किताबें कबाड़ हो रहे हैं और इस पुराने किताबों से ही विद्यार्थियों की पढ़ाई हो रही है। इसके कारण कई विद्यार्थी किताबे लेकर ही नहीं जाते हैं।
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